विश्व हिंदी सम्मेलनः राष्ट्रपति कोविंद बोले- विज्ञान और प्रौद्योगिकी से बढ़ेगी हिंदी की पहुंच
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को कहा कि किसी भी भाषा की शक्ति, उसे बोलने वाले लोगों की समृद्धि, सोच और व्यवहार पर निर्भर होती है। समाज ताकतवर होगा तो भाषा भी ताकतवर बनेगी और भाषा सामर्थ्यवान बनेगी तो समाज भी सामाजिक-आर्थिक सामर्थ्य प्राप्त करेगा।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्लीCreated On: 18 Sep 2018 12:40 AM GMT
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने सोमवार को कहा कि किसी भी भाषा की शक्ति, उसे बोलने वाले लोगों की समृद्धि, सोच और व्यवहार पर निर्भर होती है। समाज ताकतवर होगा तो भाषा भी ताकतवर बनेगी और भाषा सामर्थ्यवान बनेगी तो समाज भी सामाजिक-आर्थिक सामर्थ्य प्राप्त करेगा।
मॉरीशस में हाल ही में आयोजित 11वें विश्व हिंदी सम्मेलन में सम्मानित किये गये भारतीय विद्वानों का अभिनंदन करते हुए कोविंद ने यहां कहा, ‘‘अपनी उपस्थिति बढ़ाने के लिए हिंदी को सामग्री और प्रसार दोनों ही दृष्टि से विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अनुरुप खुद को ढालना होगा।'
उन्होंने कहा, ‘‘हम प्रौद्योगिकी के जमाने में रहते हैं। स्मार्टफोन भाषाओं के बीच की दूरियां खत्म कर रहे हैं। प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल हिंदी के प्रचार प्रसार के लिए किया जा सकता है।' उन्होंने कहा कि हिंदी को अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए खुद को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अनुरुप ढालना होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि स्मार्टफोन का उपयोग इस भाषा के प्रसार के लिए किया जा सकता है क्योंकि ये उपकरण दूरी घटाने का काम करते हैं। कोविंद के अनुसार कहा जाता है कि कोई भी संस्कृति लोकभाषा और लोक-व्यवहार के बल पर ही जीवित रह सकती है। भाषा और संस्कृति से आत्म-गौरव बढ़ता है और आत्म-गौरव से युक्त समाज आगे बढ़ता है। भाषा के माध्यम से संस्कृति के संरक्षण का ऐसा ही कार्य मॉरीशस में हुआ है।
राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया के मानचित्र पर हिन्दी की सशक्त उपस्थिति दिखाई देती है। भारत से बाहर, एक करोड़ से अधिक लोग हिन्दी बोलते हैं और सभी प्रमुख देशों के विश्वविद्यालयों में हिन्दी पढ़ाई जा रही है। इसी का परिणाम है कि 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन में 45 देशों के 2,000 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए। देश में भी, वर्ष 2011 की भाषायी जनगणना में यह तथ्य सामने आया कि हिन्दी बोलने वाले लोगों की संख्या बढ़कर, लगभग 53 करोड़ तक पहुंच गई है।
राष्ट्रपति ने कहा कि हिन्दी फिल्मों ने भारतीय भाषा-संस्कृति के प्रचार-प्रसार में अभूतपूर्व योगदान किया है, देश में भी और विदेश में भी। यह देखकर सुखद आश्चर्य होता है कि हमारी फिल्में और हमारे फिल्मी किरदार विदेशों में हमारा परिचय हैं। अभी इसी महीने, बल्गारिया और चेक रिपब्लिक की यात्रा के दौरान मैंने देखा कि वहां के लोगों में हिन्दी फिल्में और भारतीय साहित्य बहुत लोकप्रिय है।
उन्होंने मॉरीशस में हाल में सम्पन्न 11वें विश्व हिन्दी सम्मेलन की विशेष सफलता के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनकी पूरी टीम को बधाई दी।
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