रोहिंग्या मुसलमानों को अगली सुनवाई तक वापस न भेजे केंद्र: SC
रोहिंग्य मुसलमानों ने सरकार के फैसले को चुनौती दी है।

रोहिंग्या शरणार्थियों को देश में शरण देने या फिर वापस भेजने के मसले पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई को 21 नवंबर तक के लिए टाल दिया है। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सभी पक्षों को अपने तर्क तैयार करने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि मानवीय मूल्य हमारे संविधान का आधार है। देश की सुरक्षा और आर्थिक हितों की रक्षा जरूरी है। लेकिन, पीड़ित महिलाओं और बच्चों की अनदेखी नहीं की जा सकती। कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वह अगली सुनवाई तक इन्हें वापस भेजने का फैसला न ले।
#Rohingya case: Supreme Court grants more time to all the parties to argue and posted the matter for further hearing on November 21 pic.twitter.com/whIvytlZxO
— ANI (@ANI) 13 October 2017
सरकार के फैसले को रोहिंग्यों ने दी है चुनौती
रोहिंग्या शरणार्थियों ने केंद्र सरकार के उस फैसले को चुनौती दी है जिसमें उन्हें भारत से वापस भेजने को कहा गया है। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा सहित तीन जजों की बेंच रोहिंग्या शरणार्थियों की याचिका पर सुनवाई कर रही है।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा बेंच में जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल हैं। बेंच ने कहा है कि वह इस मामले में विभिन्न पहलुओं पर सुनवाई करेगी।
केन्द्र ने दाखिल किया है हलफनामा
केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है कि यह मामला कार्यपालिका का है और सर्वोच्च न्यायालय इसमें हस्तक्षेप न करे। सरकार ने अपने हलफनामे में रोहिंग्या शरणार्थियों को देश की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए कहा है कि ये भारत में नहीं रह सकते।
सरकार ने कहा है कि उसे खुफिया जानकारी मिली है कि कुछ रोहिंग्या आतंकी संगठनों के प्रभाव में हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस मामले में दलीलें भावनात्मक पहलुओं पर नहीं, बल्कि कानूनी बिंदुओं पर आधारित होनी चाहिए।
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