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30 साल बाद स्टॉकहोम पंहुचे भारतीय प्रधानमंत्री का हुआ जोरदार स्वागत, पीएम मोदी आज कई अहम बैठकों में लेंगे हिस्सा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को छह दिवसीय यात्रा पर स्वीडन और ब्रिटेन के लिए रवाना हुए जहां वह व्यापार और निवेश सहित कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत बनाने पर जोर देंगे।

30 साल बाद स्टॉकहोम पंहुचे भारतीय प्रधानमंत्री का हुआ जोरदार स्वागत, पीएम मोदी आज कई अहम बैठकों में लेंगे हिस्सा
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प्रधानमंत्री अपने स्वीडन और ब्रिटेन के 6 दिवसीय यात्रा पर देर रात स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम पहुंचे। जहां पर उनका जोरदार स्वागत किया गया, स्वीडन के प्रधानमंत्री स्टीफोन लोफेन ने मोदी की अगुवाई की। इसके बाद पीएम मोदी स्टॉकहोम में रह रहे भारतीय मूल के लोगों से भी मुलाकात की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को छह दिवसीय यात्रा पर स्वीडन और ब्रिटेन के लिए रवाना हुए जहां वह व्यापार और निवेश सहित कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत बनाने पर जोर देंगे। अपनी ब्रिटेन यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री ब्रिटेन के साथ द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत बनाने पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा मोदी राष्ट्रमंडल देशों के शासनाध्यक्षों के सम्मेलन (चोगम) में भाग लेंगे।

वह स्वदेश वापसी के दौरान 20 अप्रैल को बर्लिन में कुछ देर के लिए ठहरेंगे। 16 से 21 अप्रैल तक निर्धारित स्वीडन और ब्रिटेन की यात्रा पर रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा था कि वह व्यापार, निवेश और स्वच्छ ऊर्जा समेत विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय साझेदारी गहरा बनाने को लेकर आशान्वित हैं।

प्रधानमंत्री अपनी यात्रा के प्रथम पड़ाव में स्वीडन पहुंचेंगे जो तीन दशको में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की पहली यात्रा होगी। स्वीडन यात्रा के दौरान मोदी द्विपक्षीय वार्ता करने के साथ प्रथम भारत-नोर्डिक सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इस सम्मेलन का सह-आयोजन भारत और स्वीडन ने किया है। इस सम्मेलन में सभी नॉर्डिक देश हिस्सा ले रहे हैं।

इसमें डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे तथा स्वीडन के प्रधानमंत्री शामिल होंगे। प्रधानमंत्री 17 अप्रैल को वह कई बैठकों में शामिल होंगे। भारत-नॉर्डिक सम्मेलन के इतर मोदी की डेनमार्क, फिनलैंड, आइसलैंड और नॉर्वे के प्रधानमंत्रियों के साथ द्विपक्षीय बैठकें होंगी। इसके अलावा मोदी और स्वीडन के प्रधानमंत्री मंगलवार को द्विपक्षीय वार्ता करेंगे।

मोदी ने कहा कि वह और लोफवेन दोनों देशों के शीर्ष कारोबारी नेताओं से संवाद करेंगे तथा व्यापार एवं निवेश, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, स्वच्छ ऊर्जा एवं स्मार्ट सिटी जैसे क्षेत्रों में सहयोग की भावी रूपरेखा तैयार करेंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह स्वीडन के नरेश कार्ल सोलहवें गुस्ताफ से भी मिलेंगे।

विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान भारत और ब्रिटेन के आपसी संबंधों को और गहरा बनाने पर चर्चा होगी जिसमें मुख्य विषय प्रौद्योगिकी होगा। प्रधानमंत्री की इस यात्रा का मकसद नार्डिक देशों के साथ भारत के संबंधों को प्रगाढ़ बनाना है। इसके अलावा भारत, राष्ट्रमंडल देशों के संबंधों को नयी ऊंचाई पर ले जाना चाहता है। भारत और नॉर्डिक देशों के बीच गहरा संबंध है और इनके साथ 5.3 अरब डालर का कारोबार है।

डेनमार्क, फिनलैंड और स्विडन यूरोपीय संघ में शामिल है जबकि नार्वे और आइसलैंड यूरोपीय फ्यूचर एसोसिएशन का हिस्सा हैं। भारत इन देशों के साथ कौशल विकास, पर्यावरण, कोयला, बंदरगाह विकास के अलावा स्वच्छ भारत, स्मार्ट सिटी और स्वच्छ गंगा में सहयोग करना चाहता है। दूसरी ओर, इन देशों को भारत के बाजार और प्रतिभाओं का फायदा मिलेगा।

वहीं, ब्रिटेन में निवेश करने में भारत का स्थान चौथा स्थान है और वहां रोजगार उत्पन्न करने में भी भारत का अग्रणी स्थान है। ऐसे में भारतीय प्रधानमंत्री की इस यात्रा को दोनों देशों के पुराने एवं परिपक्व संबंधों को मजबूती प्रदान करने के संदर्भ में देखा जा रहा है। यात्रा का विषय द्विपक्षीय रिश्तों में अहम योगदान देने वालों का सम्मान करना रखा गया है।

अधिकारी ने बताया कि लेखन, कारोबार, कला, विज्ञान आदि क्षेत्रों के जरिए काफी योगदान देने वालों और स्टार्ट अप, नवोन्मेष करने वाले भारतीयों एवं ब्रिटिश नागरिकों से प्रधानमंत्री मोदी की मुलाकात करेंगे। ब्रिटेन प्रिंस चा‌र्ल्स और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वहां साथ साथ आयुर्वेद पर लगाई गई एक प्रदर्शनी को भी देखेंगे। मोदी का वहां कुछ संस्थान जाने का भी कार्यक्रम है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 18 अप्रैल को लंदन 'भारत की बात, सबके साथ' शीर्षक से एक परिचर्चा सत्र को संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री अपनी यात्रा के दौरान राष्ट्रमंडल देशों के शासनाध्यक्षों के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। इसमें 53 सदस्य राष्ट्र अवसरों और चुनौतियों, लोकतंत्र और शांति तथा समृद्धि को आगे बढ़ाने के बारे में साझा रुख तय करेंगे। यह शिखर सम्मेलन पहली बार विंडसर कैसल में होगा।

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