पीओके में लगे नारे ''हमें पाकिस्तान से चाहिए आजादी''
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के हाथ-पांव तोड़े

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haribhoomi.comCreated On: 11 Dec 2016 12:00 AM GMT
नई दिल्ली. पाकिस्तान हमेशा भारत पर आरोप लगाता रहा है कि वो कश्मीर में मानवाधिकार का उल्लंघन करता है। लेकिन पाक के अत्याचारों की पोल अब दुनिया के सामने पाकिस्तानी अधिकृत कश्मीर (पीओके) के लोगों ने खोलकर रख दी है। पीओके के लोगों ने पाक सरकार और उसकी सेना के खिलाफ अब खुलकर सड़कों पर उतर आए हैं।
पीओके के तात्रिनोट में पाकिस्तानी सेना की ज्यादतियों के खिलाफ आम जनता ने सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया। उन्होंने 'हमें पाकिस्तान से आजादी चाहिए' जैसे नारे लगाए।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों के हाथ-पांव तोड़े
पाकिस्तान के सुरक्षा बलों को विरोध की आवाज को किसी भी कीमत पर कुचलने के आदेश दिए थे। इसी वजह से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने वहशियाना ढंग से लाठियां बरसाईं। इसमें कई लोगों के हांथ-पांव टूट गए, जबकि कई लोग बुरी तरह से घायल हो गए। गौरतलब है कि पीओके में जुलाई ही असंतोष दिखने लगा था। उसके बाद से ही वहां के लोग लगातार पाक सरकार और आर्मी के खिलाफ सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करते हैं।
पाक में हो रहा है खुलेआम मानवाधिकार का उल्लंघन
पीओके के निवासियों का कहना है कि पाकिस्तान मानवाधिकारों का सरेआम उल्लंघन कर रहा है। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि पाकिस्तान की सेना और पैरामिलिटरी पुलिस पीओके के नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं को बुरी तरह प्रताड़ित करती है। पीओके के लोगों का कहना है कि पिछली 21 जुलाई को हुए चुनाव में नवाज शरीफ की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) ने 41 में से 32 सीटें धोखाधड़ी करके जीती हैं।
अपनी मर्जी से नहीं डाल सकते हम वोट
पीओके के बाशिंदों ने यह शिकायत करते हुए कहा कि उन्हें वोट डालने की आजादी नहीं थी। चुनाव में उन्हें वोट डालने ही नहीं दिया गया। पाकिस्तान की सेना, आइएसआइ और इनके दूसरे समर्थकों ने चुनाव में जबरन सारे वोट शरीफ की पार्टी को डाल दिए। इसके अलावा पाकिस्तान सरकार को बलूचिस्तान में भी मुश्किल स्थिति का सामना करना पड़ रहा है, जहां आजादी का आंदोलन जोर पकड़ चुका है।
इसी क्रम में शनिवार को ह्यूमन राइट्स डे पर बलूचिस्तान के एक्टिविस्ट्स ने पाकिस्तान के खिलाफ दक्षिणी कोरिया, जर्मनी और ऑस्ट्रेलिया में विरोध प्रदर्शन किए। इन सभी ने पाकिस्तानी सरकार और सेना की अत्याचारी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाई।
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