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आतंक की आग में अब खुद झुलस रहा है पाकिस्तान

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को वहां होने वाली आतंकवादी वारदातों में अब साजिशें नजर आनी शुरू हो गई हैं। पुरानी कहावत है। दूसरों के लिए जो गड्ढा खोदता है, कई बार वह खुद उसमें गिर जाता है। पाकिस्तान के साथ भी ऐसा ही कुछ हो रहा है।

आतंक की आग में अब खुद झुलस रहा है पाकिस्तान
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को वहां होने वाली आतंकवादी वारदातों में अब साजिशें नजर आनी शुरू हो गई हैं। पुरानी कहावत है। दूसरों के लिए जो गड्ढा खोदता है, कई बार वह खुद उसमें गिर जाता है। पाकिस्तान के साथ भी ऐसा ही कुछ हो रहा है।

भारत, अफगानिस्तान और दुनिया के कई दूसरे देशों में आतंकवाद के प्रमुख स्रोत रहे पाकिस्तान को अब समझ में आ रहा है कि जिन सांपों को उसने पाला-पोसा, अब वही उसे डसने लगे हैं। पाक सेना बुजदिल है। आज तक किसी से कोई युद्ध नहीं जीत सकी।

भारत से सीधी जंग में वह कई बार अपने मुल्क की नाक कटवा चुकी है। 1971 में बांग्लादेश का निर्माण हो गया। पाक सेना की एक नहीं चली। उसके 90 हजार से ज्यादा सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने समर्पण कर अपनी जान बचाई थी।

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लाहौर समझौते के बाद भारत ने उन्हें अपने वतन लौटने दिया। कई बार भारत के हाथों मुंह की खाने के बाद पाक सेना ने आईएसआई और कुछ आतंकी समूहों के जरिए न केवल भारत में छद्म युद्ध छेड़ रखा है, बल्कि वह अफगानिस्तान को हड़पने के लिए तालिबान के हक्कानी गुट को प्रश्रय दिए हुए है।

अमेरिका पिछले कुछ साल पहले तक पाकिस्तानी सेना की इन नाफरमानियों को नजर अंदाज करता रहा परंतु जब ओसामा बिन लादेन पाकिस्तान में ही सेना की नाक के नीचे छिपा मिला, तब अमेरिका की समझ में आया कि पाकिस्तानी सेना दरअसल क्या खेल खेल रही है। अब अमेरिका ने उसे दी जानी वाली हर तरह की मदद बंद करने का ऐलान कर दिया है।

आर्थिक दिवालिया होने के कगार पर खड़े पाकिस्तान को ले देकर अब चीन का ही आसरा बचा है। पाकिस्तान में ऐसी कई जमाते हैं, जो चीन की वहां बढ़ती भागीदारी से नाराज हैं। सीपैक हो या दूसरी परियोजनाएं, चीन के वहां अरबों रुपये दांव पर लगे हुए हैं। कई बार पहले भी नाराज संगठन चीनी अधिकारियों और इंजीनियरों पर हमले कर चुके हैं। कई की हत्या तक हो चुकी है।

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ताजा हमला कराची स्थित चीन के वाणिज्यिक दूतावास पर हुआ है, जिसमें दो पुलिसकर्मियों सहित सात लोगों की मौत हुई है। हाल में पाक प्रधानमंत्री इमरान खान चीन की यात्रा से लौटे हैं। इस हमले के बाद उनकी तरफ से जो बयान आया है, उस पर गौर करने की जरूरत है। उन्हें इस आतंकी हमले के पीछे उन ताकतों की साजिश की बू आ रही है, जो पाकिस्तान में पैसा लगाने की तैयारी कर रहे चीनी निवेशकों को बिदकाना चाहते हैं।

शुक्रवार को उन्होंने कहा कि इसी महीने की शुरुआत में दोनों देशों के बीच हुए कारोबारी समझौतों के कारण कराची में चीनी मिशन को निशाना बनाने की कोशिश की गई है। पाक प्रधानमंत्री का कहना है कि अपने मंसूबों में आतंकी सफल नहीं होंगे। इमरान खान ने ट्वीट कर कहा कि चीनी वाणिज्य दूतावास पर नाकाम हमला स्पष्ट तौर पर उनके चीनी दौरे के समय हुए अभूतपूर्व कारोबारी समझौतों की प्रतिक्रिया थी।

खान ने इसे पाकिस्तान और चीन के आर्थिक व सामरिक सहयोग के खिलाफ साजिश करार दिया। इस तरह की घटनाएं पाकिस्तान-चीन संबंध को कमजोर नहीं कर सकती हैं जो हिमालय से अधिक शक्तिशाली और अरब सागर से गहरा है। दरअसल, पाकिस्तान में अकेले कराची स्थित चीनी दूतावास पर ही हमला नहीं हुआ है।

इसी दिन वहां के अशांत खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में एक भीड़भाड़ वाले बाजार में मदरसे के पास हुए शक्तिशाली बम विस्फोट में कम से कम 30 लोगों की मौत हुई है और 40 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। इमरान ने दोनों हमलों की निंदा की और कहा कि ये उन लोगों द्वारा देश को अशांत करने की साजिश का हिस्सा था जो पाकिस्तान को खुशहाल देखना नहीं चाहते हैं।

दरअसल, यह वक्त है जब पाकिस्तान को अपने गिरेबान में झांककर देखना होगा कि वह अपने पड़ौसियों को क्या वाकई खुशहाल देखना चाहता है। जब तक वह आतंकवाद को कुटिल नीति के तौर पर दूसरे देशों के खिलाफ इस्तेमाल करता रहेगा, वह खुद भी इसकी आग में झुलसता रहेगा। यह बात वह जितनी जल्दी समझ लेगा, उतना उसके हित में होगा।

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