पाकिस्तान में उठी ''शहीद भगत सिंह'' को सर्वोच्च सम्मान देने की मांग, जानिए क्या है ''निशान-ए-हैदर''
पाकिस्तान में शहीद भगत सिंह को देश का सर्वोच्च वीरता सम्मान ‘निशान ए हैदर’ देने की मांग की जा रही है। इसके साथ ही शहीद भगत सिंह की प्रतिमा लाहौर ते शादमान चौक पर लगाए जाने की मांग की जा रही है।

पाकिस्तान में शहीद भगत सिंह को देश का सर्वोच्च वीरता सम्मान ‘निशान ए हैदर’ देने की मांग की जा रही है। इसके साथ ही शहीद भगत सिंह की प्रतिमा लाहौर ते शादमान चौक पर लगाए जाने की मांग की जा रही है। शादमान चौक पर ही भगत सिंह को फांसी दी गई थी।
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मांग उठाने वाला संगठन अदालत में स्वतंत्रता सेनानियों को निर्दोष साबित करने के लिए काम कर रहा है। भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन ने शादमान चौक का नाम भगत सिंह चौक किए जाने की भी मांग की और कहा कि पंजाब सरकार को इसमें और देरी नहीं करनी चाहिए।
पाकिस्तान की पंजाब प्रांत की सरकार को दी अपनी ताजा अर्जी में भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन ने कहा है कि भगत सिंह ने उपमहाद्वीप की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान दिया था।
जिन्ना ने भी दी थी भगत सिंह को श्रद्धाजंलि
याचिका के अनुसार, 'पाकिस्तान के संस्थापक कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना ने भगत सिंह को यह कहते हुए श्रद्धांजलि दी थी कि उपमहाद्वीप में उनके जैसा कोई वीर शख्स नहीं हुआ है। भगत सिंह हमारे नायक हैं। वह मेजर अजीज भट्टी की तरह ही सर्वोच्च वीरता पुरस्कार (निशान-ए-हैदर) पाने के हकदार हैं, जिन्होंने भगत सिंह को हमारा नायक तथा आदर्श घोषित किया था।'
‘निशान-ए-हैदर’
‘निशान-ए-हैदर’ का मतलब ‘शेर का निशान’ है। यह पाकिस्तान का सर्वोच्च सैन्य पुरस्कार है। यह पुरस्कार सैन्य बलों के जवानों को उनके अद्भुत साहस और बहादुरी के लिए दिया जाता है।
23 मार्च को हुई थी फांसी
शहीद भगत सिंह को दो अन्य स्वतंत्रता सेनानियों राजगुरु और सुखदेव के साथ 23 मार्च, 1931 को 23 साल की उम्र में लाहौर में फांसी दी गई थी। इन पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ षड्यंत्र रचा और ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन पी सांडर्स की हत्या की।
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