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नोटबंदी क्या है और जानिए अब तक इस मामले में क्या-क्या हुआ
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को विमोद्रीकरण करने का फैसला लेते हुये पुराने 500 और 1000 रूपये के नोटों को बंद कर दिया और उनकी जगह 2000 रूपये के नये नोटों का जारी किया। आइये जानते हैं आखिर विमोद्रीकरण से अब तक क्या-क्या हुआ-

टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्ली17 Jan 2018 12:15 PM GMT
नोटबंदी क्या है आज भी कई लोगों के मन में ये सवाल उठता है। नोटबंदी का सही अर्थ विमोद्रीकरण है। जब किसी देश की सरकार किसी पुरानी मुद्रा को कानूनी तौर पर बंद कर देती है तो इसे विमुद्रीकरण कहा जाता है।
विमुद्रीकरण के बाद उस मुद्रा की कुछ कीमत नहीं रह जाती। उससे किसी तरह की खरीद-फरोख्त नहीं की जा सकती। सरकार द्वारा बंद किए गए नोटों को बैंकों में बदलकर उनकी जगह नए नोट लेने के लिए समयसीमा तय कर देती है।
उस दौरान जिसने अपने नोट बैंकों में जाकर नहीं बदले या जमा नहीं किए उनके नोट कागज का टुकड़ा बनकर रह जाते हैं।
मुद्रा की जमाखोरी (कालाधन) को खत्म करने, आतंकवाद, अपराध और तस्करी जैसे आपराधिक कामों को रोकने, बाजार में नकली नोटों के प्रचलन को बंद करने, जालसाजी से बचने और टैक्स चोरी के लिए किए जाने वाले नगद लेन-देन को हतोत्साहित करने के लिए भी सरकारें कई बार विमुद्रीकरण का रास्ता अपनाती हैं।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को इन्हीं उद्दोश्यों को पूरा करने के लिये इसी तरह का फैसला लेते हुये पुराने 500 और 1000 रूपये को बंद कर दिया और उनकी जगह 2000 रूपये के नये नोटों का जारी किया।
आइये जानते हैं आखिर विमोद्रीकरण से अब तक क्या-क्या हुआ-
1. नोटबंदी से पहले 500 और 1000 रुपये के 15.44 लाख करोड़ रुपये के नोट चलन में थे. 15.28 लाख करोड़ के नोट वापस आ गए. यानी 99 फीसदी पुराने नोट वापस आ गए हैं।
2.चीफ इकोनॉमिस्ट डी.के. जोशी के मुताबिक नोटबंदी ने होम लोन सस्ता करने में मदद की है। नोटबंदी की वजह से बैंकों में काफी बड़ी मात्रा में डिपोजिट आया है। इसका फायदा बैंकों ने आम आदमी को सस्ते कर्ज के तौर पर दिया है।
3. नोटबंदी के चलते कैशलेश ट्रांजैक्शन बढ़ने में काफी मदद मिली है. नोटबंदी के दौरान कैश की किल्लत होने से न सिर्फ लोगों ने ज्यादा डिजिटल ट्रांजैक्शन किए, बल्कि सरकार की तरफ से भी इसके प्रोत्साहन के लिए काफी कदम उठाए गए।
4. 2016-17 में नए नोट छापने में 7965 करोड़ रुपये खर्च हुए, जो पिछले साल 2015-16 के मुकाबले दोगुने थे।
5. नोटबंदी के बाद साल की पहली तिमाही में जीडीपी 6.1 फीसदी पर पहुंच गई, जो साल 2014 से सबसे कम थी, क्योंकि बाज़ार में नकदी की भारी कमी थी।
6. कारोबार, काम-धंधे और कल-कारखाने की हालत खस्ता हुई। कई लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ा।
7. नोटबंदी को भले ही 14 महीने से ज्यादा हो चुके हैं, लेकिन इसका थोड़ा बहुत असर अभी भी है. आज भी बैंकों के कई एटीएम से सिर्फ 2000 और 500 रुपये के ही नोट निकल रहे हैं। इससे छोटे-मोटे लेनदेल में परेशानी होती है।
8. लोगों की जेब का कैश रद्दी हो जाने के चलते कालाबाजारी, चोरी, रिश्वत और अपहरण जैसे अपराध न के बराबर रह गए थे। हालांकि, दिन बीतने के साथ अब ये अपराध फिर शुरू हो चुके हैं। नए नोटों में रिश्वत लिए जाने के कुछ केस सामने आए हैं।
9. नोटबंदी के बाद से भारतीय स्टेट बैंक समेत कई सरकारी और निजी बैंकों ने सेविंग्स अकाउंट पर ब्याज दर घटा दी है।
10. नोटबंदी के कुछ नुकसान तुरंत ही सामने आए थे। नोटबंदी का सदमा बर्दाश्त न कर पाने के कारण हार्ट अटैक से कई लोगों की मृत्यु की खबरें सामने आईं। कई अस्पतालों में नए नोट न होने के कारण इलाज न होने की खबरें भी सामने आयी थीं।
साथ ही लोगों को अपने परिवारीजनों के शवों को अस्पताल से ले जाने में भी दिक्कतें का सामना करना पड़ा। वहीं, कई शादियों पर भी नोटबंदी का असर दिखा। किसानों को खेती में दिक्कतें आईं। जिनके खाते नहीं थे, उन लोगों को कैश जमा करने की दिक्कतें पेश आईं।
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