नोबल प्राइज 2017: क्या है बायोलॉजिकल क्लॉक जिस वजह से इन वैज्ञानिकों को मिला नोबल प्राइज
मेडिसिन के क्षेत्र में तीन वैज्ञानिकों ने नोबल पुरस्कार 2017 साझा किया।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्लीCreated On: 3 Oct 2017 3:31 PM GMT
मेडिसिन के लिए इस बार तीन वैज्ञानिकों को नोबल पुरस्कार से नवाजा गया है। जैफरी हॉल, माइकल रोजबैश, माइकल यंग को मेडिसिन के लिए 2017 नोबल पुरस्कार मिला है। इन्हें मानव शरीर की आंतरिक जैविक घड़ी (बॉयलोजिकल क्लॉक) पर किए इनके उल्लेखनीय कार्य के लिए नोबल पुरस्कार मिला है।
इन तीनों वैज्ञानिकों को करीब 11 लाख डॉलर की राशि मिली है जिसे ये साझा करेंगे। इन तीनों वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि क्यों वो लोग जो ज्यादा लंबा सफर करते हैं अलग-अलग टाइम जोन में जाने से परेशान हो जाते हैं।
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क्या है बायोलॉजिकल क्लॉक
हमारे शरीर की मांसपेशियां दिन के समय को समझने का प्रयास करती हैं। शरीर के हर हिस्से में बयोलॉजिकल क्लॉक चलती है। इस घड़ी के हिसाब से हार्मोन्स हमारी बॉडी में बनते रहते हैं। इसमें टॉयलेट जाना, समय पर नींद आना, पीरियड्स आना, लंच टाइम तक एक्टिव रहना, लंच के बाद खाना पचाना, दिन के समय एक्टिव रहना, ट्रैवल की आदत को पूरा करना शामिल है।
नोबेल प्राइज पाने वाले वैज्ञानिकों ने बायोलॉजिकल क्लॉक में सिरकार्डियन रिदम यानी ऐसी प्रक्रिया जो शरीर में हर 24 घंटे में होती है उसमें होने वाले बदलावों को समझाया है। इसकी खोज से पता चला कि क्यों किसी भी जीव या इंसान को सोने की जरूरत होती है, ये प्रक्रिया कैसे होती है।
इससे ये भी पता चला कि कैसे बायोलॉजिकल क्लॉक नींद न आने और बाकी समस्याओं का कारण बन सकती है।
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