ट्रिपल तलाक के बाद अब इन कानूनों के खिलाफ मुस्लिम महिलाएं खोलेंगी मोर्चा
तीन तलाक कानून यानी ''मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकार का संरक्षण) बिल 2017'' लोकसभा में पास हो गया है।

केंद्र सरकार ने बीते दिन संसद के शीतकालीन सत्र में अपना सबसे महत्वपूर्ण बिल तीन तलाक लोकसभा में पास करा लिया है। लोकसभा में इसे कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पेश किया है।
तीन तलाक कानून यानी 'मुस्लिम महिला (विवाह पर अधिकार का संरक्षण) बिल 2017' लोकसभा में पास हो गया है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस की एक महिला सांसद ने इस बिल के पास होने के बाद सरकार के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं।
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मुस्लिम महिलाएं अपने धर्म में जारी बहुविवाह (चार शादी का प्रावधान) और निकाह हलाला के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी कर रही हैं। वहीं वो तलाक-ए-बाइन के खिलाफ भी जंग की शुरूआत करेंगी।
बता दें कि तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई को सुप्रीम कोर्ट तक ले जाने वाली उत्तराखंड के शायरा बानो ने कहा कि अब उनकी अगली लड़ाई बहुविवाह और निकाह हलाला के खिलाफ होगी। हमारे समाज में इसके लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
क्या है तलाक-ए-बाइन
अगर तीन तलाक से पत्नी को नहीं छोड़ सकते हैं तो एक-दो तलाक से पत्नी को छोड़ दें। इसका मतलब है कि पति पत्नी को तलाक-ए-बाइन से छोड़ सकता है। बता दें तलाक-ए-बाइन के जरिए भी तलाक दिया जा सकता है। तलाक-बाइन में तीन तलाक बोलने की जरूरत नहीं होती है। इसमें दो बार तलाक बोलने से तलाक हो जाता है।
ऐसे भी दिया जाता है तलाक
1. एक बार में ही तीन बार तलाक बोल देने को तलाक-ए-बिद्दत कहा जाता है।
2. एक बार में एक तलाक बोलने और इसके बाद तीन महीने तक इंतजार किया। इस दौरान अगर पति-पत्नी के बीच सुलह हो जाए तो तलाक नहीं होगा। इसे तलाक-ए-एहसन कहा जाता है।
3. पत्नी के मासिक धर्म से निबटने में ही तलाक बोला जाता है। अगले मासिक धर्म के बाद दूसरी बार तलाक बोला जाता है। तीसरे महीने के मासिक धर्म के बाद तलाक बोला जाता है। इस तरह तलाक बोलने के बाद तलाक माना जाएगा। बता दें इस तलाक-ए-हसन कहा जाता है।
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