भारत-रूस की दोस्ती: 70 साल से हर मुश्किल घड़ी में भारत के साथ खड़ा है रूस
भारत-रुस के बीच होने वाले 19वें शिखर सम्मलेन में हिस्सा लेने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज भारत आ रहे हैं। पढ़िए भारत और रूस की दशकों पुरानी दोस्ती की कुछ खास बातें।

भारत-रुस के बीच होने वाले 19वें शिखर सम्मलेन में हिस्सा लेने के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन आज भारत आ रहे हैं। भारत पर अमेरिकी प्रतिबंधों के साए में पुतिन का ये दौरा बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
व्लादिमीर पुतिन के इस भारत दौरे के दौरान भारत और रूस के बीच करीब 40 हजार करोड़ के रक्षा सौदे पर मुहर लग सकती हैं। यहां हम आपको बता रहे हैं भारत और रूस की दशकों पुरानी दोस्ती की कुछ खास बातें-
शीत युद्ध के बाद भी बनी रही दोस्ती
* आजादी के बाद से ही भारत और रूस के संबंध बेहद खास रहे हैं। शीत युद्ध के समय भी भारत और सोवियत संघ के बीच मजबूत रणनीतिक, सैनिक, आर्थिक, एवं राजनयिक संबंध रहे हैं।
* शीत युद्ध के बाद सोवियत संघ का विघटन हो गया था। हालांकि सोवियत यूनियन के विघटन के बाद भी दोनों देशों बीच अच्छे संबंध बने रहे।
मिशन की स्थापना
* भारत और रूस की दोस्ती कीशुरुआत 13 अप्रैल 1947 को हुई जब तत्कालीन सोवियत संघ और भारत ने दिल्ली और मॉस्को में मिशन स्थापित करने का फैसला लिया था।
मुश्किल घडी में भारत का साथ
* भारत की आजादी के बाद पिछले करीब 70 सालों में कई देशों में गृहयुद्ध हुए और कई देशों के बीच रिश्तें बिगड़ गए। हालांकि इन सब के बावजूद भारत और रूस के रिश्तों में आज तक कोई कड़वाहट देखने को नहीं मिली। रूस हर मुश्किल घडी में भारत के साथ हमेशा खड़ा रहा है।
भारत के लिए किया वीटो का इस्तेमाल
* आयरलैंड ने 22 जून 1962 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कश्मीर मसले को लेकर भारत के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया था।
* इस प्रस्ताव का समर्थन का अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, चीन समेत आयरलैंड, चिली और वेनेजुएला ने भी किया था। इस दौरान रूस ने अपने 100वें वीटो का इस्तेमाल कश्मीर मुद्दे पर भारत के समर्थन में किया था।
* साल 1961 में भी रूस ने भारत के लिए अपने 99वें वीटो का इस्तेमाल किया था। रूस ने ये वीटो गोवा मसले पर भारत के लिए किया था।
* भारत के अंतरिक्ष और परमाणु विकास कार्यक्रमों में रूस ने हमेशा भारत का साथ दिया है।
अमेरिका की तरफ बढ़ा रुझान
* पिछले एक दशक में खासकर साल 2005 के बाद से जब से भारत का रुझान अमेरिका की तरफ बढ़ा, तब से भारत का झुकाव रूस की तरफ से कम हो गया था।
* पिछले एक दशक में भारत ने अमरीका और अन्य देशों से भी हथियार खरीदना शुरु कर दिया था, इसका असर भी भारत-रूस संबंधों पर पड़ा।
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