बांग्लादेश में बुर्के वाली महिलाएं नेशनल आईडी पर फोटो का कर रहीं विरोध, जानिये क्यों है आपत्ति
इस मामले को लेकर मुस्लिम महिलाएं अदालत गई थीं। मार्च महीने में सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार से पूछा था कि बिना फोटो वाली नेशनल आईडी को बनाने में क्या दिक्कत आएगी?

प्रतीकात्मक तस्वीर।
बांग्लादेश में मुस्लिम महिलाओं के लिए विशेष नेशनल आईडी बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। इस पर बांग्लादेश की अदालत ने भी सरकार से जवाब मांगा है। फोटो या बिना फोटो वाली आईडी को लेकर बहस भी खड़ी हो चुकी है। हालांकि अदालत का फैसला आने के बाद ही पता चल पाएगा कि बुर्के वाली मुस्लिम महिलाओं का तर्क माना जाएगा या नहीं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अंजुमन नामक इस्लामिक संगठन से जुड़ी मुस्लिम महिलाओं ने सरकार के पास मांग भेजी गई थी कि वे नेशनल आईडी कार्ड पर अपनी फोटो नहीं लगवाना चाहते हैं। संगठन से जुड़ी शर्मिन यास्मीन का कहना है कि नेशनल कार्ड पर फोटो लगवाना भी उनकी धार्मिक मान्यता में नहीं है। उनकी धार्मिक मान्यता मानती है कि उनके परिवार से बाहर कोई भी व्यक्ति किसी मुस्लिम महिला का चेहरा देख सके। उन्होंने कहा कि अगर नेशनल आईडी कार्ड से फोटो हटा दिया जाए तो मुस्लिम महिलाओं को बेपर्दा नहीं होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार को हमारी मांग पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
यह रास्ता सुझाया
शर्मिन यास्मीन का कहना है कि नेशनल आईडी कार्ड पर फिंगरप्रिंट होते हैं। अगर फोटो वाली आईडी जरूरी है तो ऐसे मामले में कैसे पहचान होगी, अगर कोई जुड़वा हो या फिर किसी का चेहरा किसी अन्य इंसान से मेल खाता हो। उन्होंने कहा कि फिंगरप्रिंट ही ऐसे होते हैं, जो बचपन से लेकर बुजुर्ग होने तक फिंगरप्रिंट में कोई बदलाव नहीं आता। इसलिए नेशनल आईडी कार्ड पर फोटो को हटाने में किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा बताया
इस मामले को लेकर मुस्लिम महिलाएं अदालत गई थीं। यहां अदालत ने सरकार से पूछा था कि बिना फोटो वाली नेशनल आईडी को बनाने में क्या दिक्कत आएगी। अदालत ने कहा था कि अगर कोई भी महिला फोटो वाली आईडी नहीं बनवाना चाहती तो वो भी सरकारी योजनाओं से वंचित हो जाएगी। ऐसे में रास्ता होना चाहिए कि सब सामान रूप से योजनाओं का लाभ उठा सकें।
मीडिया रिपोर्ट्स की वजह से सरकारी वकील ने बिना फोटो वाली नेशनल आइडी को लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया है। उन्होंने कहा कि हर जगह फिंगरप्रिंट को स्कैन करने की सुविधा नहीं हो पाती। वहीं अगर कोई महिला किसी अपराध में संलिप्त मिलती है तो भी उसकी पहली पहचान उसका चेहरा देखकर ही होती है। उन्होंने कहा कि हज जाने वाली मुस्लिम महिलाएं भी फोटो खींचवाती हैं। अगर नेशनल आईडी पर फोटो का विरोध किया जाए तो यह समझ से परे है।

Amit Yadav
अमित कुमार पिछले 15 सालों से पत्रकारिता जगत में सक्रिय हैं। पंजाब केसरी, अमर उजाला, दैनिक भास्कर और दैनिक हिंदुस्तान के लिए दिल्ली-एनसीआर और चंडीगढ़ में करीब 9 साल तक कार्य किया। दैनिक भास्कर चंडीगढ़ में नेशनल पेज की जिम्मेदारी संभाली। इसके बाद दैनिक जागरण नोएडा की नेशनल टीम में भी कार्य किया। वे पिछले तीन सालों से हरिभूमि डिजीटल दिल्ली में कार्यरत हैं।