जानें क्यों मनाया जाता है ''अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस'' और क्या हैं आपके 25 मौलिक अधिकार
10 दिसंबर 2018 को ''अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस'' यानि International Human Rights Day पूरी दुनिया में मनाया जाएगा। मानव अधिकार का तात्पर्य उन सभी अधिकारों से है जिससे आप और हम एक बेहतर जीवन जी सकें और उसका सर्वागीण विकास कर सकें। इस दिन विश्व में मानव अधिकारों के हनन को रोकने और उनके बारे में जागरूकता फैलाने का काम अलग-अलग समारोह का आयोजन करके किया जाता है।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्लीCreated On: 7 Dec 2018 3:01 PM GMT
10 दिसंबर 2018 को 'अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस' यानि International Human Rights Day 2018 पूरी दुनिया में मनाया जाएगा। मानव अधिकार का तात्पर्य उन सभी अधिकारों से है जिससे आप और हम एक बेहतर जीवन जी सकें और उसका सर्वागीण विकास कर सकें। इस दिन विश्व में मानव अधिकारों के हनन को रोकने और उनके बारे में जागरूकता फैलाने का काम अलग-अलग समारोह का आयोजन करके किया जाता है।
पिछले कुछ दिनों से दुनिया के अलग-अलग देशो में मानव अधिकारों के उल्लंघन के बढ़ते मामलों ने पूरी दुनिया को इनके की प्रासंगिकता और संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर सवालिया निशान लगा दिया है। दुनिया के साथ ही भारत में भी इस साल कई बार मानवअधिकारों का खुलेआम मखौल बनाया गया है। इसलिए आज हम आपको मानव अधिकारों का इतिहास, महत्व और इसकी जरूरत के बारे में आपको बता रहे हैं।
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'मानव अधिकार दिवस' का इतिहास
मानव अधिकार का तात्पर्य उन अधिकारों से है जो सभी को जीवन जीने,स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा, और एक समान व्यवहार करने का अधिकार देता है। पहले और दूसरे विश्व युद्ध में लोगों के बहुत बड़े स्तर पर हुए नरसंहारों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र(United Nation) ने पहल करते हुए सभी के मानवाधिकारों की रक्षा करने वाले संगठन यानि मानव अधिकार आयोग का गठन किया।
संयुक्त राष्ट्र की महासभा ने 10 दिसंबर 1948 को 'अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस' के रूप में मनाने की घोषणा की गई। जिसके बाद से हर साल पूरी दुनिया में इस दिन मानवधिकारों के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने काम बड़े स्तर पर किया जाता है। जबकि भारत में 28 सितंबर, 1993 से मानव अधिकार कानून को लागू किया गया। 12 अक्टूबर, 1993 में 'राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग' का गठन किया गया था।
मानव अधिकारों का महत्व
आज के दौर में दुनिया में जब कई सारे देश आपस में छद्म युद्ध लड़ रहे है, तो भारत जैसे कुछ देश बढ़ती आतंकवादी घटनाओं का लगातार सामना कर रहें हैं। ऐसे में मानव अधिकारों का महत्व और प्रासंगिकता काफी बढ़ जाती है। इसके अलावा बड़े स्तर पर मानव तस्करी होना, महिलाओं और बच्चों के खिलाफ बढ़ते अपराध भी संयुक्त राष्ट्र के बनाए गए अंतरराष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग और उसके कानून नाकाफी प्रतीत होते हैं। ऐसे में मानव अधिकारों के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर कम समय में लेकिन कड़ाई से कार्रवाई करने की जरूरत है।
ये हैं मौलिक अधिकार या मानव अधिकार :
1. बोलने की आजादी।
2. स्वतंत्र रूप से वोट करने और किसी देश के सरकार में हिस्सा लेने का अधिकार।
3. न्यायिक उपाय करने के अधिकार।
4. समान कार्य के समान वेतन के लिए नागरिकों को आर्थिक शोषण से बचाने का अधिकार।
5. देश के सभी लोगों के पास अपनी गरिमा और अधिकार के मामले में जन्मजात स्वतंत्रता और समानता प्राप्त है।
6. प्रत्येक व्यक्ति को जीवन, आजादी और सुरक्षा का अधिकार है।
7. प्रत्येक व्यक्ति को नस्ल, रंग, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक या अन्य विचार, राष्ट्रीयता या समाजिक उत्पत्ति, संपत्ति, जन्म आदि जैसी बातों पर कोई भेदभाव नहीं किया जा सकता।
8. मानवाधिकार के अंतर्गत किसी भी व्यक्ति को गुलाम बनाकर नहीं रखा जा सकता।
9. यातना, प्रताड़ना या क्रूरता से आजादी का अधिकार।
10. कानून के सामने समानता का अधिकार।
11. अपने बचाव में इंसाफ के लिए अदालत में जाने का अधिकार।
12. मनमाने ढंग से की गई गिरफ्तारी, हिरासत में रखने या निर्वासन से आजादी का अधिकार।
13. किसी स्वतंत्र आदालत के जरिए निष्पक्ष सार्वजनिक सुनवाई का अधिकार।
14. जब तक अदालत दोषी करार नहीं दे देती उस वक्त तक निर्दोष होने का अधिकार।
15. घर, परिवार और पत्राचार में निजता का अधिकार।
16. अपने देश में भ्रमण और किसी दूसरे देश में आने-जाने का अधिकार।
17. राष्ट्रीयता का अधिकार अर्थात प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्र-विशेष की नागरिकता का अधिकार है।
18. शादी करने और परिवार बढ़ाने का अधिकार और शादी के बाद पुरुष और महिला का समानता का अधिकार ।
19. संपत्ति का अधिकार अर्थात प्रत्येक व्यक्ति को अकेले और दूसरों के साथ मिलकर संपत्ति रखने का अधिकार है।
20. विचार, विवेक और किसी भी धर्म को अपनाने की स्वतंत्रता का अधिकार अर्थात प्रत्येक व्यक्ति को विचार, अंतरात्मा और धर्म की आजादी का अधिकार।
21. विचारों की अभिव्यक्ति और जानकारी हासिल करने का अधिकार अर्थात प्रत्येक व्यक्ति को विचार और उसकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार।
22. सामाजिक सुरक्षा का अधिकार और आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकारों की प्राप्ति का अधिकार।
23. छुट्टियों का अधिकार अर्थात प्रत्येक व्यक्ति को विश्राम और अवकाश का अधिकार।
24. भोजन, आवास, कपड़े, चिकित्सीय देखभाल और सामाजिक सुरक्षा सहित अच्छे जीवन स्तर के साथ स्वयं और परिवार के जीने का अधिकार।
25. शिक्षा का अधिकार अर्थात प्रत्येक व्यक्ति को शिक्षा का अधिकार है।
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