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इंडोनेशिया में भूकंप और सूनामी के बाद पड़ा अकाल, मांगी अंतर्राष्ट्रीय मदद, खोदी एक हजार कब्र

भूकंप और सूनामी से तबाह हुए सुलावेसी में स्वयंसेवकों ने सोमवार को एक हजार से अधिक शवों के लिए सामूहिक कब्र खोदी। आपदा के कारण मची तबाही से निपट रहे अधिकारियों ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग मांगा है।

इंडोनेशिया में भूकंप और सूनामी के बाद पड़ा अकाल, मांगी अंतर्राष्ट्रीय मदद, खोदी एक हजार कब्र
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भूकंप और सूनामी से तबाह हुए सुलावेसी में स्वयंसेवकों ने सोमवार को एक हजार से अधिक शवों के लिए सामूहिक कब्र खोदी। आपदा के कारण मची तबाही से निपट रहे अधिकारियों ने अंतरराष्ट्रीय सहयोग मांगा है।

आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक, भूकंप और सूनामी से मरने वालों की संख्या कम से कम 832 है। आपदा के चार दिन बाद तक भी दूरदराज के कई इलाकों में संपर्क नहीं हो पाया है। दवाइयां खत्म हो रही हैं और बचावकर्ता ध्वस्त इमारतों के मलबे में अब भी दबे पीड़ितों को निकालने के लिए आवश्यक भारी उपकरणों की कमी से जूझ रहे हैं।

राष्ट्रपति जोको विडोडो ने कई दर्जन अंतरराष्ट्रीय सहायता एजेंसियों तथा गैर सरकारी संगठनों के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। वह जीवनरक्षक सहायता के लिए पहले से तैयार थीं।

वरिष्ठ सरकारी अधिकारी टॉम लेमबोंग ने ट्विटर पर बचावकर्ताओं से कहा है कि वह उनसे सीधे संपर्क करें। उन्होंने लिखा है कि रविवार रात राष्ट्रपति जोकोवी ने अंतरराष्ट्रीय मदद स्वीकार करने के लिए हमें अधिकृत किया है ताकि आपदा प्रतिक्रिया तथा राहत तत्काल प्राप्त हो सके।

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अधिकारियों को आशंका है कि आगामी दिनों में मृतकों का आंकड़ा बढ़ सकता है। पालू के पहाड़ी इलाके पोबोया में स्वयंसेवकों ने मृतकों को दफनाने के लिए 100 मीटर लंबी कब्र खोदी है। उन्हें 1,300 पीड़ितों को दफनाने की तैयारी करने के निर्देश दिए गए थे।

प्राकृतिक आपदा के बाद खराब होते शवों के कारण बीमारियों के फैलाव को रोकने के लिए अधिकारी संघर्ष कर रहे हैं। इसके साथ ही यहां 14 दिन का आपातकाल घोषित किया गया है। पालू के एक होटल के मलबे में 60 लोगों के दबे होने की आशंका है।

पालू में एक व्यक्ति ने एएफपी को बताया कि कोई सहायता नहीं है, हम भूखे हैं। हमारे पास दुकानें लूटने के अलावा कोई विकल्प नहीं है क्योंकि हमें भोजन चाहिए।' सरकारी अधिकारियों के मुताबिक क्षेत्र में कम से कम तीन जेल से करीब 1,200 कैदी भाग निकले हैं।

आपदा प्रबंधन एजेंसी ने बताया कि सुनामी चेतावनी प्रणाली अगर काम करती तो ज्यादा लोगों की जानें बचाई जा सकती थी लेकिन पैसे की कमी की वजह से छह साल से वह काम नहीं कर रहा है।

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