भगत सिंह को बेगुनाह साबित करेंगे भारतीय वकील, अनारकली थाने में दर्ज की गई थी रिपोर्ट
याचिका में कहा गया है कि भगत सिंह को दी गई फांसी एक न्यायिक हत्या थी।

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नई दिल्ली. ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन सांडर्स की हत्या में शहीद-ए-आजम भगत सिंह को फांसी दिए जाने के खिलाफ नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाला एक संगठन पाकिस्तान के लाहौर हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर चुका है।इस याचिका में कहा गया है कि भगत सिंह को दी गई फांसी एक न्यायिक हत्या थी। इस संगठन ने भगत सिंह को बेगुनाह साबित करने के लिए अभियान छेड़ रखा है और इस काम में भारतीय वकीलों से मदद चाहता है।
अपनी मुहिम में शुरूआती सफलता के बाद संगठन के कुछ सदस्य लाहौर हाई कोर्ट में उनकी याचिका लड़ने के लिए भारतीय वकीलों से मदद की उम्मीद लेकर दिल्ली आए हैं। लाहौर हाईकोर्ट ने संगठन की याचिका पर स्थानीय पुलिस से उस एफआईआर को खोजने का निर्देश दिया, जो साल 1928 में दर्ज की गई थी।
इस साल मई में यह बात सामने आई कि उस एफआईआर में शहीद-ए-आजम का नाम नहीं था। एफआईआर में उन स्थितियों के बारे में जिक्र है, जिसमें ब्रिटिश पुलिस अधिकारी की 1928 में हत्या हुई थी। पाकिस्तान में भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन के अध्यक्ष इम्तियाज कुरैशी ने एफआईआर की कॉपी हासिल करने का बाद बताया था कि एफआईआर 17 दिसंबर 1928 को शाम साढ़े चार बजे लाहौर के अनारकली थाने में दर्ज कराई गई थी। जिसमें 2 अज्ञात लोगों पर सांडर्स की हत्या का आरोप लगाया गया था।
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