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Exclusive: जानिए कैसे कश्मीर में आतंकियों के हौसले तोड़कर ‘गोल्डन ईयर’ बना 2017
रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि अगर इसी तर्ज पर कश्मीर घाटी में सैन्य अभियान चलते रहे तो अगले साल 2018 में भी पाक समर्थित यह तमाम दहशतगर्द सूबे की शांति भंग नहीं कर सकेंगे।

जम्मू-कश्मीर में बीते कुछ समय से आतंकवादियों के सफाए के लिए जारी सुरक्षा बलों के कड़े अभियानों की वजह से मौजूदा साल 2017 उनके लिए ‘गोल्डन ईयर’ बन गया है। राज्य में अलग-अलग जगहों पर चलाए गए सैन्य अभियानों में अब तक कुल करीब 200 आतंकियों को मार गिराया जा चुका है।
बीते 6 सालों से तुलना करें तो उसमें से किसी भी वर्ष इतनी बड़ी संख्या में आतंकियों को नहीं मारा गया है। इस आंकड़ें में आने वाले दिनों में और इजाफा देखने को मिल सकता है।
क्योंकि साल खत्म होने में अभी करीब डेढ़ महीने का समय शेष बचा है। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि अगर इसी तर्ज पर कश्मीर घाटी में सैन्य अभियान चलते रहे तो अगले साल 2018 में भी पाक समर्थित यह तमाम दहशतगर्द सूबे की शांति भंग नहीं कर सकेंगे।
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दरबार मूव से नहीं पड़ा दबाव
सेना के एक अधिकारी ने बताया कि बीते अक्टूबर महीने के मध्य से राज्य में शुरू हुई शीतकालीन राजधानी बदलाव की प्रक्रिया (दरबार मूव) के बाद सेना सहित अन्य सुरक्षाबलों में इस बात की पुरजोर आशंका थी कि आतंकवादी अपनी मौजूदगी दिखाने के लिए हिंसा के धटनाक्रम में तेज गति से इजाफा करेंगे।
लेकिन इसकी काट करने के लिए उनके द्वारा बनाई गई ठोस रणनीति का परिणाम यह हुआ कि न सिर्फ आतंकवादियों के हौसले बुरी तरह से टूटे बल्कि उन्हें कश्मीर में अपनी मौजूदगी बनाए रखने के लिए नियंत्रण रेखा के पार से आतंकियों के नए समूह की घुसपैठ कराने की राह पकड़नी पड़ रही है।
यह काम ठंड के दिनों में टेढ़ी खीर साबित होता है। लेकिन राज्य के भीतर मौजूद और बाहर से आने वाले आतंकियों का हर पैंतरा नेस्तनाबूद करने के लिए सुरक्षाबल चौबीसों घंटे मुस्तैद हैं।
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बीते 6 सालों में मारे गए 575 आतंकी
आंकड़ों के हिसाब से वर्ष 2011 से 2017 तक सुरक्षाबलों ने कुल 575 आतंकी मार गिराए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 200 आतंकियों का इस वर्ष 2017 सफाया किया गया है। इसके अलावा साल 2011 में यह संख्या 95, 2012 में 73, 2013 में 65, 2014 में 104, 2015 में 97 और 2016 में 141 आतंकवादी ढेर किए जा चुके हैं।
सकारात्मक बदलाव के संकेत
राज्य में बेरोकटोक जारी सैन्य अभियानों के इस क्रम को देखते हुए सशस्त्र बलों को वर्ष 2018 में भी सकारात्मक बदलाव के संकेत मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। इसी कड़ी में सबसे पहले अप्रैल 2018 तक दरबार मूव के सफल समापन और उसके बाद जून-जुलाई से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा जैसे बड़े आयोजनों की तैयारियां मुख्य रूप से शामिल हैं।
गौरतलब है कि हड़वाड़ा में मारे गए लश्करे तैयबा के तीन आतंकियों का संबंध एलओसी से हाल ही में घुसपैठ के जरिए आए लश्कर के नए आतंकियों के समूह से है। इसमें से चार आतंकी अभी भी सुरक्षाबलों के हत्थे नहीं चढ़े हैं। लेकिन इनकी सरगर्मी से तलाश जारी है।