जानें आखिर क्या है बापू के टोपी ना पहनने का राज
देशभर में बापू के नाम से चर्चित महात्मा गांधी ने कभी भी टोपी धारण नहीं की । जानें ऐसे कौन से कारण है, जो टोपी नहीं पहनते थे।

बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो, जब हम ये शब्द सुनते है तो हमारे जहन में महात्मा गांधी का नाम आता है। बापू ने सत्य और अंहिसा के मार्ग पर चलकर भारत को अंग्रजो से आजादी दिलाई थी। महात्मा गांधी जी कहते थे कि हमेशा सत्य के मार्ग पर चलो। सचाई की हमेशा जीत होती है। सुभाष चन्द्र बोस ने 1944 को रंगून रेडियो से गांधी जी के नाम प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता घोषित कर दिया था। उनका पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गांधी था।
महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदी में हुआ था। उनकी माता का नाम पुतलीबाई और पिता का नाम करमचन्द गांधी था। उन्होंने कस्तूरबा गांधी से शादी कर अपने शादीशुदा जीवन की शुरूआत की थी। पत्नी कस्तूरबा गांधी ने उनके हर आंदोलन में उनका कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा लंदन यूनिवर्सिटी से की थी।
गांधीजी को लेकर अक्सर ये चर्चा होती थी कि वह कभी टोपी क्यों नहीं पहनते। टोपी को लेकर एक किस्सा भी उजागर हुआ था। जिसमें गांधीजी टोपी क्यों नहीं पहनते थे यह बताया गया है। आइए जानें कौन सा है वो किस्सा, जिसमे बापू ने बताया था कि वह टोपी क्यों नहीं पहनते।
एक बार एक मारवाड़ी सेठ बापू से मिलने आए। सेठ ने एक बड़ी से पगड़ी बाध रखी थी। उन्होंने बापू से पूछा कि आपके नाम पर देश के सभी लोग गांधी टोपी पहनते है। लेकिन आप इसका प्रयोग क्यों नहीं करते। बापू ने सेठ की बात का मुस्कुराते हुए जवाब दिया, बोले सेठजी आप अपनी पगड़ी उतारकर देखिए, इसमे कम से कम बीस टोपियों के बनने लायक कपड़ा है। जब आप जैसे धनी लोग बीस टोपियों के बराबर पगड़ी पहनेंगे तो बेचारे उन्नीस लोग तो नंगे सिर ही रह जाएंगे। मैं भी उन उन्नीस लोगों में से एक हूं। गांधीजी के यह शब्द सुनकर सेठ कुछ ना बोल सके। गांधीजी ने आगे कहा कि अपव्यय, अति संचय की आदत दूसरे लोगों को अपने हिस्से से वंचित कर देती है। ऐसे में मेरे जैसों को टोपी से वंचित रहकर उस संचय की पूर्ति करनी पड़ती है।