Shaheed Diwas 2021: कल मनाया जाएगा तीन वीर सपूतों का शहीद दिवस, जाने क्यों खास है ये दिन
कल यानि 23 मार्च को भारत के तीन वीर सपूतों का शहीद दिवस है। 23 मार्च के ही दिन देश के लिए लड़ते हुए भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया था। देश कल इनका शहीद दिवस मना रहा है। यह दिवस देश के प्रति सम्मान का अनुभव कराता है।

फाइल फोटो
कल यानि 23 मार्च को भारत के तीन वीर सपूतों का शहीद दिवस है। 23 मार्च के ही दिन देश के लिए लड़ते हुए भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव ने अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया था। देश कल इनका शहीद दिवस मना रहा है। यह दिवस देश के प्रति सम्मान का अनुभव कराता है। हर वर्ष 23 मार्च को शहीद दिवस मनाकर भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को याद किया जाता है और उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है। भगतसिंह ने अपने अति संक्षिप्त जीवन में वैचारिक क्रांति की जो मशाल जलाई, उससे आज भी कई युवा प्रभावित होते हैं।
आपको बता दें कि तत्कालीन अंग्रेज सरकार के कान खोलने के लिए भगत सिंह ने जो बम फेंका था, उस बम के साथ कुछ पर्चे भी फेंके गए थे, जिसमें लिखा हुआ था कि 'आदमी को मारा जा सकता है, उसके विचार को नहीं। बड़े साम्राज्यों का पतन हो जाता है लेकिन विचार हमेशा जीवित रहते हैं और बहरे हो चुके लोगों को सुनाने के लिए ऊंची आवाज जरूरी है।'
भगतसिंह हमेशा चाहते थे कि कोई खून-खराबा न हो तथा अंग्रेजों तक उनकी आवाज पहुंचे। इसलिए योजना बनाकर भगतसिंह तथा बटुकेश्वर दत्त ने 8 अप्रैल 1929 को केंद्रीय असेम्बली में एक खाली स्थान पर बम फेंका था। उनकी गिरफ्तारी के बाद भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव पर एक ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जेपी साण्डर्स की हत्या में शामिल होने के कारण देशद्रोह और हत्या का मुकदमा चलाया गया था।
शहीद भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को हुआ था और 23 मार्च 1931 को शाम 7.23 बजे उन्हें फांसी दे दी गई थी। पहले इन वीर सूपतों को 24 मार्च को फांसी दी जानी थी, लेकिन डरी हुई अंग्रेज सरकार जनआंदोलन को कुचलने के लिए एक दिन पहले ही फांसी दे दी थी।
शहीद सुखदेव का जन्म 15 मई, 1907 को पंजाब को लायलपुर में हुआ था, यह इलाका अब पाकिस्तान में है। भगतसिंह और सुखदेव के परिवार लायलपुर में आसपास ही रहते थे, इन दोनों के परिवारों में गहरी दोस्ती थी। दोनों लाहौर नेशनल कॉलेज के छात्र थे। सांडर्स हत्याकांड में सुखदेव ने भगतसिंह और राजगुरु का साथ दिया था।
शहीद राजगुरु का जन्म 24 अगस्त, 1908 को पुणे जिले के खेड़ा में हुआ था। शिवाजी की छापामार शैली के प्रशंसक राजगुरु लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के विचारों से भी प्रभावित थे। पुलिस की बर्बर लाठी चार्ज के कारण स्वतंत्रता संग्राम के एक बड़े नेता लाला लाजपत राय का निधन हो गया था, उनकी मौत का बदला लेने के लिए राजगुरु ने 19 दिसंबर, 1928 को भगत सिंह के साथ मिलकर लाहौर में अंग्रेज सहायक पुलिस अधीक्षक जेपी सांडर्स को गोली मार दी थी और खुद को गिरफ्तार करवा लिया था।