Haribhoomi-Inh News:'बूस्टर' का वार कोरोना की हार! 'चर्चा' प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ
Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, 'बूस्टर' का वार कोरोना की हार !

Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, 'बूस्टर' का वार कोरोना की हार ! जिसका संदर्भ है… क्या भारत में लोगों को लगेगी कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज या नहीं, वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके लोगों को बूस्टर डोज दी जाए या नहीं, दुनिया के कई देशों में कोरोना को हराने के लिए बूस्टर डोज पर विश्वास जताया जा रहा है।
अमेरिका में तो लोगों को बूस्टर डोज लगनी शुरू भी कर चुकी हैं। लेकिन अभी तक भारत में इस मुद्दे पर सिर्फ बहस देखने को मिल रही है। अभी तक क्योंकि WHO ने बूस्टर डोज को लेकर कोई बड़ी पहल नहीं की है, इस पर विशेषज्ञों का कहना है कि कम्पलीट वैक्सीनेशन करवा चुके लोगों को बूस्टर डोज दिए जाने की जरूरत पर फैसला लेने के लिए स्थानीय स्तर पर पर्याप्त आंकड़े तैयार नहीं हुए हैं। इस दौरान देश में कभी भी कोरोना महामारी की तीसरी लहर आने की आशंका है।
'बूस्टर' का वार कोरोना की हार!
'चर्चा'
जानकारी के लिए बता दें कि आईसीएमआर के प्रमुख डॉक्टर बलराम भार्गव ने बताया था कि अभी तक इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि कोरोना वायरस बीमारी से बचाव के लिए बूस्टर वैक्सीन की खुराक की जरूरत है। सभी वयस्क आबादी को कोविद-19 वैक्सीन की दूसरी खुराक दी जा रही है और यह सुनिश्चित करना कि न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया का टीकाकरण हो, अभी के लिए सरकार की प्राथमिकता है। वहीं अमेरिका में लोगों को अभी से बूस्टर डोज मिलने लगी है। लेकिन अब तक भारत में इस मुद्दे पर सिर्फ बहस हो रही है।
अभी तक डब्ल्यूएचओ ने बूस्टर डोज को लेकर कोई बड़ी पहल नहीं की है, इसलिए भारत में भी इसकी ज्यादा चर्चा नहीं हो रही है। लेकिन अब ये ट्रेंड बदलने वाला है। खबर है कि राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह इस महीने के अंत तक कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज पर चर्चा कर सकता है। कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है। जिसको लेकर एक रेडमैप बनाया जाएगा।