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CAA के खिलाफ प्रदर्शन के अधिकार पर महिलाओं ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बीते साल अक्टूबर के महीने में शाहीन बाग आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी जोकि अभी पेंडिंग में है।

CAA के खिलाफ प्रदर्शन के अधिकार पर महिलाओं ने किया सुप्रीम कोर्ट का रुख
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देश की राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन करने वाली महिलाओं ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। सुप्रीम कोर्ट से महिलाओं ने मांग की है कि कोर्ट के द्वारा बीते साल अक्टूबर के महीने में आंदोलन को लेकर जो आदेश दिया गया था उसपर फिर से सुनवाई की जाए। कहा गया है कि ये सुनवाई किसान आंदोलन को लेकर दायर याचिकाओं के साथ ही होनी चाहिए।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बीते साल अक्टूबर के महीने में शाहीन बाग आंदोलन को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर पुनर्विचार याचिका दायर की गई थी जोकि अभी पेंडिंग में है। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि उनका मुद्दा भी केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ प्रदर्शन से जुड़ा है। इसलिए किसान आंदोलन की सुनवाई के साथ उनकी मांग भी सुनी जाए। खबरों से मिली जानकारी के मुताबिक, याचिकाकर्ताओं ने यह भी कहा है, शाहीन बाग मामले में कोर्ट की तरफ से जो टिप्पणी की गई, वो नागरिक के आंदोलन करने के अधिकार पर संशय व्यक्त करती है।

गौरतलब है कि साल 2020 में नागरिकता संशोधन एक्ट (सीएए) के खिलाफ देश की राजधानी दिल्ली के शाहीन बाग में लंबे समय तक प्रदर्शन चला था। शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया था कि पुलिस के पास किसी भी सार्वजनिक स्थल को खाली कराने का अधिकार है।

क्या कह रहे हैं प्रदर्शनकारी

प्रदर्शनकारियों का कहना है कि किसान आंदोलन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने किसी तरह का दखल देने से इनकार किया है और फैसला पुलिस पर ही छोड़ दिया। यही वजह है कि याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि उनकी मांग पर फिर से विचार किया जाए और याचिकाओं को सुना जाए।

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