Bhagat Singh Birth Anniversary : जब 11 साल की उम्र में भगत सिंह ने दादा को खत लिखकर कहा- आप चिंता मत करना
Bhagat Singh Birth Anniversary (भगत सिंह जयंती) / भारत की आजादी (India Freedom) में अंग्रेजों (British Rule) के खिलाफ शहीद भगत सिंह (Shaheed Bhagat Singh) ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। कम उम्र में फांसी पर चढ़ जाने और युवाओं को प्रेरित करने के लिए हमेशा उन्हें याद किया जाता है। सिर्फ 11 साल की उम्र में उन्होंने अपने दादा के नाम एक खत लिखा था।

Bhagat Singh Birth Anniversary भगत सिंह जयंती / अपने देश के लिए जीने और शहीद होने वाले सरदार भगत सिंह (Sardar Bhagat Singh) की 28 सितंबर को 112वीं जयंती मनाई जाएगी। अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में भगत सिंह (Bhagat Singh) ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था। कम उम्र में फांसी पर चढ़ जाने और युवाओं को प्रेरित करने के लिए हमेशा उन्हें याद किया जाता है। पाकिस्तान (Pakistan) के पंजाब (Punjab) के बांगा गांव में 28 सितंबर 1907 में जन्में भगत सिंह परिवार की राह पर चले।
भगत सिंह के परिवार ने शुरू से ही अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई के लिए आवाज बुलंद की थी। भगत सिंह भी उसी राह पर चल पड़े। इसके लिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा। फिर वे उन्होंने हार नहीं मानी और अंग्रेजो के खिलाफ लड़ते रहे। इस दौरान वह जेल से ही पढ़ाई के समय में, कई लेख लिखे-चिट्ठियां लिखीं थी। भगत सिंह ने जेल से भी कुछ खत आंदोलनकारियों और कुछ खत परिवार के लिए थे। इस मौके पर हम आपको सरदार भगत सिंह की वो चिट्ठी पढ़ाएंगे जो उन्होंने अपने दादा को लिखी थी।
भगत सिंह की दादा सरदार अर्जुन सिंह को चिट्ठी, कहा- आप चिंता मत करना
पूज्य बाबाजी,
नमस्ते!
आपकी चिट्ठी पढ़कर बहुत अच्छा लगा, अभी परीक्षाएं चल रही हैं इसलिए मैं आपको कोई खत नहीं लिख पाया। हमारे संस्कृत और अंग्रेजी के नतीजे आ गए हैं। संस्कृत में मेरे 150 नंबर में से 110 नंबर आए हैं और अंग्रेजी में 150 में से 68 नंबर आएं हैं। 150 में से 50 नंबर लाने वाला पास हो जाता है, इसलिए अंग्रेजी में 68 नंबर लाकर मैं भी पास हो गया। आप कोई चिंता मत करना, बाकी परीक्षाओं के नतीजे भी आने बाकी है। 8 अगस्त को पहली छुट्टी होगी, आप यहां कब आएंगे, बता दीजिएगा।
आपका ताबेदार,
भगत सिंह
रिपोर्ट्स के मुताबिक भगत सिंह ने यह खत अपने दादा जी सरदार अर्जुन सिंह को 22 जुलाई 1918 को लिखा था। बता दें कि भगत सिंह की शुरुआती पढ़ाई पाकिस्तान के पंजाब के बांगा गांव में हुई थी लेकिन चौथी क्लास के बाद वह लाहौर आ गए। लाहौर से ही उन्होंने अपने दादा सरदार अर्जुन सिंह के लिए यह खत लिखा था।
आपको बता दें कि यह लेख उर्दू भाषा में लिखा था। बाद में इसका अनुवाद हिन्दी में किया गया। इस लेख को राहुल फाउंडेशन ने किताब भगत सिंह में हिंदी में छापा है।
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