Ayodhya : सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले पढ़ ले इलाहबाद हाइकोर्ट का फैसला, इस तरह सुनाया था निर्णय
राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद पर कल फैसला आ सकता है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवायी से पहले इलाहबाद हाइकोर्ट ने जमीन को तीन हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था।

अयोध्या में राम जन्मभूमि को लेकर सदियों से चले आ रहा विवाद कल खत्म हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद पर ऐतिहासिक फैसला सुनाएगा। जिसके ऊपर सिर्फ भारत ही नहीं विश्वभर की नजर है। हालांकि अयोध्या विवाद को लेकर इलाहबाद हाइकोर्ट ने 2010 में अपना फैसला सुनाया था। सुप्रीम कोर्ट के किसी भी निर्णय पर पहुंचने से पहले इलाहबाद हाइकोर्ट के फैसले को पढ़े लें। इलाहबाद हाइकोर्ट की तरफ से दिए गए फैसले की मुख्य पांच बातें।
1. हाइकोर्ट ने 2.77 एकड़ जमीन को तीन हिस्सों में बांटा था। जिसमें दो हिस्से हिंदू पक्ष को दिए गए थे। जबकि एक हिस्सा मुस्लिम पक्ष को दिया गया था।
2. हाइकोर्ट के फैसले का आधार पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट बनी थी। रिपोर्ट के आधार पर हाइकोर्ट ने मामले पर अपना फैसला 30 सितंबर 2010 को सुनाया था।
3.इलाहबाद हाइकोर्ट ने फैसले में भगवान राम के अस्तित्व को स्वीकार किया था। जिसको ध्यान में रखते हुए फैसला दिया था।
4. इलाहबाद हाइकोर्ट के फैसले को उसी दिन हिंदू महासभा और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी थी।
5. इलाहबाद हाइकोर्ट के फैसले को चुनौती देने पर सुप्रीम कोर्ट ने करीब 8 माह बाद 9 मई 2011 को स्टे के आदेश जारी किए थे।
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