Interview: अमित शाह बोले- पीएम मोदी हर विरोध के साथ होते हैं और मजबूत, बढ़ता है हौसला
तीन तलाक पर कानून, वन रैंक-वन पेंशन लागू करने की कोई हिम्मत नहीं करता था। सर्जिकल व एयर स्ट्राइक पर सब चुप थे, धारा 370 को हटाने की कोई हिम्मत नहीं करता था। विभिन्न आर्थिक सुधार जैसे फैसले मजबूत इच्छा शक्ति वाला प्रधानमंत्री ही कर सकता है।

पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने सेवा और समर्पण के 20 साल पूरे कर लिए हैं। ऐसे में केंद्रीय मंत्री अमित शाह (Union Minister Amit Shah) ने संसद टीवी को इंटरव्यू दिया। इंटरव्यू (Interview) के दौरान अमित शाह ने कहा कि गुजरात (Gujarat) में सबसे ज्यादा आदिवासी उपेक्षित थे। कांग्रेस (Congres) ने उनका वोटबैंक की तरह इस्तेमाल तो किया लेकिन कभी उन तक विकास नहीं पहुंचा।
मोदी जी ने पहली बार 2003 के बजट में सारी बिखरी हुई योजनाओं को जोड़ा और संविधान के अनुसार उनकी जनसंख्या के हिसाब से उनको अधिकार दिए। यूपीए की सरकार में हर क्षेत्र में देश नीचे की ओर जा रहा था, दुनिया में देश का कोई सम्मान नहीं था, नीतिगत फैसले महीनों तक सरकार की आंतरिक कलह में उलझते रहते थे, एक मंत्री महोदय तो 5 साल तक कैबिनेट में नहीं आए।ऐसे माहौल में मोदी जी ने देश के प्रधानमंत्री का पद संभाला, आज सारी व्यवस्थाएं अपनी जगह पर सही हो रही हैं। मोदी जी जोखिम लेकर फैसले करते हैं ये बात सही है। हमारा लक्ष्य देश में परिवर्तन लाना है। 130 करोड़ की आबादी वाले विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र को दुनिया में एक सम्मानजनक स्थान पर पहुंचाना है।
तीन तलाक पर कानून, वन रैंक-वन पेंशन लागू करने की कोई हिम्मत नहीं करता था। सर्जिकल व एयर स्ट्राइक पर सब चुप थे, धारा 370 को हटाने की कोई हिम्मत नहीं करता था। विभिन्न आर्थिक सुधार जैसे फैसले मजबूत इच्छा शक्ति वाला प्रधानमंत्री ही कर सकता है। वामपंथी रास्ता गरीब का उत्थान करना है ही नहीं, बल्कि उसके अंदर के असंतोष को राजनीतिक पूंजी बनाकर सत्ता पर बैठना है। करीब 27 साल बंगाल में वामपंथी शासन के बाद बंगाल की स्थिति देखिए। त्रिपुरा की स्थिति देखिए, और इनकी गुजरात से तुलना कीजिए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की ढेर सारी समस्याओं को पारंपरिक सोच के अलग होकर हल किया, यही तो रिफॉर्म हैं।
अनुच्छेद 370, सीएए, आर्थिक, सामाजिक क्षेत्र में कई फैसले किए। कृषि को प्राथमिकता देना, ये देश के लिए बहुत बड़ा रिफॉर्म है। विपक्ष में रहकर भी जनता के लिए कार्य किया जा सकता है। इतना जरूर है कि सत्ता में रहते हुए आप फैसले करते हुए परिवर्तन कर सकते हैं। जबकि विपक्ष में रहते हुए उन फैसलों के अंदर जो छिद्र होते हैं उसको उजागर करने का काम करते हैं। हर विरोध के साथ नरेन्द्र मोदी जी और मजबूत होते हैं और उससे मोदी जी का हौसला बढ़ता है। लोकतंत्र में इससे बड़ी उपलब्धि क्या हो सकती है कि एक व्यक्ति कड़े फैसले लेता है और देश की जनता चट्टान की तरह उसके साथ खड़ी रहती है।