फिर डोकलाम जैसा विवाद, लाइन ऑफ ऐक्चुअल कंट्रोल पर चीन कर रहा पक्का निर्माण
भारत के साथ 4,057 किलोमीटर लंबी लाइन ऑफ ऐक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीनी सेना के अतिक्रमण के तरीकों में एक बड़ा बदलाव दिख रहा है।

भारत के साथ 4,057 किलोमीटर लंबी लाइन ऑफ ऐक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) पर चीनी सेना के अतिक्रमण के तरीकों में एक बड़ा बदलाव दिख रहा है। यह घटना पिछले वर्ष डोकलाम में हुए विवाद के जैसी है।
पहले चीनी सेना एलएसी के नजदीक अस्थायी ढांचे बनाती थी या भारत की ओर से बनाए गए अस्थायी ढांचों को नष्ट करती थी, लेकिन अब वह स्थायी ढांचे बनाने की कोशिश कर रही है।
जानकारों का कहना है कि अरुणाचल प्रदेश में हाल ही में चीनी सेना के एक बुलडोजर के प्रवेश करने से यह संकेत मिला है। डोकलाम के क्षेत्र पर भारत और भूटान दोनों अपना दावा जताते हैं और चीनी सेना के इसमें घुसपैठ करने से भारत और चीन के बीच 75 दिनों तक टकराव की स्थिति रही थी। बाद में राजनयिक के जरिए इस विवाद का अंत किया गया था।
भारत में घुसने का प्रयास
जानकारों का कहना है कि चीन का लक्ष्य एलएसी पर मौजूदा स्थिति में बदलाव करना है और इसी वजह से उसकी सेना भारतीय क्षेत्र के अंदर प्रवेश करने की कोशिश कर रही है। इससे चीन बाद में भारत के साथ सीमा को लेकर बातचीत में अपना पक्ष मजबूत कर सकता है।
चिनफिंग के दुबारा चुने जाने के बाद विवाद
अरुणाचल प्रदेश की हाल की घटना चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना का दोबारा जनरल सेक्रेटरी चुने जाने के बाद इस तरह का पहला विवाद है।
चीनी सेना ने इस अतिक्रमण की कोशिश ऐसे समय में की थी जब उसके स्टेट काउंसलर यांग जिएची सीमा के मुद्दे पर विशेष प्रतिनिधि बातचीत के 20वें दौर के लिए दिल्ली में थे।
ये है विवाद का मुद्दा
भारत और चीन के बीच सीमा के विवाद के केंद्र में अरुणाचल प्रदेश (90,000 स्क्वेयर किलोमीटर) का मुद्दा है। अरुणाचल प्रदेश को चीन 'दक्षिण तिब्बत' कहता है। चीन के मामलों के विशेषज्ञ श्रीकांत कोंडापल्ली ने कहा, 'डोकलाम और अरुणाचल प्रदेश दोनों घटनाओं में चीन अवैध कब्जा करने की कोशिश कर रहा है।
तवांग क्षेत्र मांग रहा चीन
चीन की मांग है कि अगर पूरा अरुणाचल प्रदेश नहीं तो कम से कम राज्य में तवांग का क्षेत्र उसे स्थानांतरित किया जाए। चीन ने तवांग को स्थानांतरित किए बिना सीमा विवाद के निपटारे की संभावना से इनकार किया है।
भारत का समझौते से इंकार
भारतीय अधिकारियों का कहना है कि तवांग पर भी कोई समझौता नहीं होगा। उन्होंने बताया कि चीन को कई बार यह स्पष्ट किया जा चुका है कि अरुणाचल प्रदेश का पूरा राज्य भारत का अहम हिस्सा है। अरुणाचल प्रदेश को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
डोकलाम में कम हुए चीनी सैनिक
आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि चीन से रोड बनाने का विवाद सुलझा लिया गया है। उन्होंने साथ ही डोकलाम मुद्दे पर कहा कि चीनी इलाके में सैनिकों की संख्या में भारी कमी आई है।
बता दें कि चीन ने अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती इलाके टूटिंग में घुसकर करीब एक किलोमीटर सड़क बनाने की कोशिश की थी तब भारत ने विरोध जताया था।
तूतिंग मसला सुलझा
भारतीय सेना के प्रमुख बिपिन रावत ने आज बताया कि अरुणाचल प्रदेश का ‘‘तूतिंग मसला” सुलझा लिया गया है। कुछ दिन पहले ही भारतीय सीमा के अंतर्गत आने वाले इस क्षेत्र में चीनी सड़क निर्माण दल के सडक बनाने के प्रयासों को भारतीय सेना ने विफल कर दिया था। दो दिन पहले दोनों पक्षों के बीच हुई बैठक में इस मुद्दे को सुलझा लिया गया।
दलाईलामा का लिया सहारा
चीन की दलील है कि छठे दलाई लामा सांगयांग ग्यात्सो का जन्म तवांग में होने के कारण यह क्षेत्र तिब्बती लोगों के दिलों और धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है और भारत को इस क्षेत्र पर अपना दावा छोड़ देना चाहिए। मौजूदा दलाई लामा 1950 के दशक के अंत में तवांग के रास्ते भारत आए थे।
छोड़ी गई मशीनें ले गए वापस
समझौते के बाद चीनी चले तो गए थे लेकिन अपने साथ लाई गई खुदाई की दो मशीनें रहस्यमय ढंग से भारतीय इलाके में ही छोड़ गए। भारत ने चीनी पक्ष को संदेश भेजा है कि वे अपनी मशीनें ले जाएं। सूत्रों का कहना है कि दो दिन पहले हुई मीटिंग के बाद चीनी अपनी मशीनें भी वापस ले गए।
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