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आज ही के दिन गांधी ने की थी नोआखली यात्रा रद्द
एक विशेष सीरीज के तहत हम आपको ये बता रहे हैं कि आज़ादी की लड़ाई के दौरान आखिरी हफ्ते में राजनीति कैसे करवट ले रही थी।

टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्ली10 Aug 2017 4:29 PM GMT
देश आज से पांच दिन बाद स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। एक विशेष सीरीज के तहत हम आपको ये बता रहे हैं कि आज़ादी की लड़ाई के दौरान आखिरी हफ्ते में राजनीति कैसे करवट ले रही थी। सो आज हम आपको 10 अगस्त 1947 के बारे में बताएंगे कि ये दिन भारतीय आजादी के इतिहास में किस तरह यादगार रहा है।
इस दिन कराची में संविधान सभा की पहली बैठक शुरु हुई। वहीं कलकत्ता में मुस्लिम नेताओं के आग्रह पर महात्मा गांधी ने अपनी नोआखली यात्रा रद्द कर दी थी। सांप्रदायिक दंगा कुछ महीने पहले बंगाल के नाओखली जिले में हुआ था और इसके चलते बंगाल में सांप्रदायिक हिंसा और वैमनस्य फैल चुका था।
इन दंगों में लोग एक-दूसरे की जान ले रहे थे। इस पर गांधी जी काफी दुखी थे और दंगे के बाद के हालातों का जायजा नोआखली जाकर लेना चाह रहे थे। इस दंगे में करीब 5 से 10 हजार लोगों की मौत हुई थी और इसमें बंगाली हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा था। वहीं इसी दिन कोल्हापुर और काठियावाड़ ने भारत में विलय की घोषणा की क्योंकि ऐसा माना जा रहा था कि काठियावाड़ पाकिस्तान में शामिल होना चाहता है।
इधर, वायसराय ने नेहरु को पत्र लिखा कि वे सीमा आयोग की निष्पक्षता कभी भंग करना नहीं चाहेंगे। माउंटबेटन ने एक पत्र को जिन्ना को लिखा। पाकिस्तान अपने हिस्से का 100 करोड़ रुपए चाहता है और भारत उसे 20 करोड़ रुपए से ज्यादा देने को तैयार नहीं है। सरदार पटेल जैसे नेताओं को डर था कि पाकिस्तान इस धन का उपयोग भारत के खिलाफ़ जंग छेड़ने में कर सकता है।
इसके बाद गांधी ने पाकिस्तान को तुरंत धन देने की बात की। उन्हें डर था कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो सीमा पर फिर से हिंसा शुरु हो जाएगी। इसी दिन हिंदू महासभा ने सम्मेलन में एक प्रस्ताव पास कर भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने की बात की।
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