मध्य एशिया की यात्रा पूरी करके स्वदेश रवाना हुई विदेश मंत्री सुषमा स्वराज
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज आज उज्बेकिस्तान से स्वदेश रवाना हुई। स्वराज ने इससे पहले मध्य एशिया के तीन देशों की एक ‘‘सकारात्मक और उपयोगी'''' यात्रा की जिससे रणनीतिक और संसाधन समृद्ध इस क्षेत्र के साथ भारत की साझेदारी बढ़ाने में मदद मिले।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्लीCreated On: 6 Aug 2018 2:01 AM GMT Last Updated On: 6 Aug 2018 2:01 AM GMT
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज आज उज्बेकिस्तान से स्वदेश रवाना हुई। स्वराज ने इससे पहले मध्य एशिया के तीन देशों की एक ‘‘सकारात्मक और उपयोगी' यात्रा की जिससे रणनीतिक और संसाधन समृद्ध इस क्षेत्र के साथ भारत की साझेदारी बढ़ाने में मदद मिले। इससे पहले स्वराज ने यहां उज्बेकिस्तान की राजधानी में राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव से मुलाकात की।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया, ‘‘बैठक 100 मिनट चली। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव से मुलाकात की। सभी क्षेत्रों में हमारी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के कदमों पर पर्याप्त चर्चा हुई। भारत को इस वर्ष बाद में राष्ट्रपति मिर्जियोयेव की यात्रा का इंतजार है।'
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ताशकंद में भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के स्मारक पर उनकी आवक्ष प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। स्वराज उसके बाद स्वदेश के लिए रवाना हो गईं।
कुमार ने कहा, ‘‘मध्य एशिया के साथ हमारे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध को प्रगाढ़ बनाते हुए। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तीन देशों की चार दिवसीय सकारात्मक और उपयोगी यात्रा के बाद ताशकंद से रवाना हुई जिससे इस रणनीतिक क्षेत्र के साथ हमारी साझेदारी को बल देने में मदद मिला। उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्री कामिलोव विदा करने आये।' उज्बेकिस्तान की अपनी पहली यात्रा पर कल यहां पहुंचीं स्वराज सुबह शास्त्री के स्मारक गयीं।
रवीश कुमार ने मंत्री की फोटो के साथ ट्वीट किया, ‘‘विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ताशकंद में स्वतंत्रता सेनानी और भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की।' स्मारक पर स्वराज याकोव शापीरो से भी मिलीं जिन्होंने शास्त्री की आवक्ष कांस्य प्रतिमा बनायी है।
ताशकंद में जनवरी, 1966 में ताशकंद समझौता पर दस्तखत के बाद शास्त्री की मृत्यु हो गयी थी। इस समझौते के साथ ही भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध का औपचारिक अंत हुआ था। शास्त्री की याद में यहां यह स्मारक भी बनाया गया है।
कुमार ने ट्वीट किया, ‘‘विदेश मंत्री सुषमा स्वराज (श्रद्धांजलि कार्यक्रम से पहले) उज्बेकिस्तान की लेजिस्टिव एसेम्बली के स्पीकर नूरदिनजोन इस्मोइलोव तथा संसद में विभिन्न गुटों के प्रतिनिधियों से मिलीं। दोनों पक्षों ने दोनों देशों के लोगों के बीच आपसी संबंध बढ़ाने में संसद की भूमिका पर चर्चा की।'
प्रवक्ता ने टि्वटर पर लिखा, ‘‘उज्बेकिस्तान में भारतीय आमों का प्रचार किया। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने ताशकंद में आम निर्यातकों के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित आम महोत्सव का उद्घाटन किया। निर्यातक फल बाजार जायेंगे और फल कारोबारियों से मिलेंगे।'
कुमार के अनुसार स्वराज ने ताशकंद में उज्बेक विद्वानों, हिंदी शिक्षकों, विद्यार्थियों, आईटीईसी और आईसीसीआर के पूर्व विद्यार्थियों से भेंट की। ये सभी अकादमिक आदान प्रदान एवं दोनों देशों के लोगों के बीच आपसी संबंध में अहम भूमिका निभाते हैं। विदेश मंत्री ने उज्बेकिस्तान में सर्वत्र भारतीय संस्कृति की उपस्थिति की प्रशंसा की। वह कल उज्बेकिस्तान के प्रधानमंत्री अब्दुल्ला एरीपोव से मिलीं और द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की।
भारत और उज्बेकिस्तान रणनीतिक साझेदार हैं और उनके बीच मजबूत ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक संबंध हैं।
स्वराज तीन देशों की अपनी यात्रा के अंतिम चरण में यहां पहुंची थीं। इससे पहले वह किर्गिस्तान और कजाखस्तान गयी थीं।
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