चिकन से महंगा हो रहा अंडा, जानिए एक अंडे की कीमत
पिछले कुछ समय से महंगी सब्जी के विकल्प के तौर पर लोग अंडे की तरफ रुख कर रहे थे।

एक अंडे की कीमत 7.5 रुपए हो गई है। ट्रेडर्स और जानकारों की मानें तो कीमत 9-10 रुपए प्रति अंडे तक पहुंच सकती है। यह है कच्चे अंडे की कीमत, उबले की बात करें तो यह अमूमन कच्चे से 2-3 रुपए अधिक रहती है।
सब्जियों के भाव आसमान छूने और ठंड बढ़ने का साफ असर अंडे की डिमांड पर दिख रहा है।
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ऐसे में आम लोगों की परेशानी कई गुना बढ़ गई है। पिछले कुछ समय से महंगी सब्जी के विकल्प के तौर पर लोग अंडे की तरफ रुख कर रहे थे।
ट्रेडर्स के अनुसार, मुर्गियों की तुलना में अंडे की कीमत अधिक तेजी से बढ़ेगी, क्योंकि उसके कद्रदानों की संख्या अधिक है। ऐसे में कीमतों के मामले में चिकन के लगभग बराबर चल रहा अंडा जल्द उससे आगे हो जाएगा।
अंडे की कीमत बढ़ने के कारण
1- डिमांड बढ़ना
ठंड धमकने के साथ ही अंडे की कीमत में हर साल उछाल आता है। इन दिनों ठंड के कारण मांसाहारी के साथ ही बड़ी संख्या में शाकाहारी लोग भी अंडे खाने लगते हैं।
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नेशनल एग कॉर्डिनेशन कमिटी के अनुसार डिमांड में 15 फीसदी का इजाफा हुआ है, जबकि मार्केट सूत्रों ने बताया कि डिमांड में 25 फीसदी से अधिक का इजाफा देखा जा रहा है।
हैदर अली नामक एक व्यापारी ने बताया कि अंडे ही नहीं, ब्रॉयलर की डिमांड भी बढ़ गई है। उनके अनुसार, ठंड में 40 से 42 दिनों की जगह 37-38 दिनों में ही मुर्गी 2-2.5 किलो की हो जाती है। बीमारी की आशंका भी कम होती है, इसके बावजूद डिमांड बढ़ने से मुर्गी की कीमत भी बढ़ जाती है।
2- सब्जियों की आसमानी कीमतें
अंडों की डिमांड बढ़ने की एक बड़ी वजह सब्जियों की आसमान छूती कीमतें हैं। हरी सब्जियां 60 से 100 रुपए के बीच बिक रही हैं, जो सामान्य लोगों के लिहाज से काफी अधिक है।
सब्जियों की कीमतें बढ़ने के कारण कहा जा रहा है कि खुदरा महंगाई दर और बढ़कर 4 फीसदी के ऊपर जा सकती है। ऐसे में फिलहाल सब्जियों के साथ ही अंडों की कीमतों में कमी की कम संभावना ही दिख रही है।
3- नोटबंदी का असर
अंडे की कीमतों में तेज इजाफे को नोटबंदी के असर के रूप में भी देखा जा रहा है। नेशनल एग कॉर्डिनेशन कमिटी के मैसूर जोन के चेयरमैन एम पी सतीश बाबू ने मीडिया से बताया कि नोटबंदी के कारण अंडों और मुर्गियों का प्रोडक्शन काफी कम हो गया था।
क्योंकि डिमांड काफी कम हो गई थी। ऐसे में प्रोडक्शन की सुस्ती को वर्तमान डिमांड के अनुरूप लाने में समय लग रहा है।
4- कर्नाटक और तमिलनाडु में सूखा
कर्नाटक और तमिलनाडु में सूखे की वजह से मक्के की फसल काफी बर्बाद हो गई, जो मुर्गियों का मुख्य आहार है। मक्के की कीमत प्रति क्विंटल 1900 रुपए के स्तर पर पहुंच गई। इससे पॉर्ल्टी बिजनेस और इससे जुड़े किसानों को बड़ा धक्का लगा। साफ तौर पर इसका असर भी उत्पादन पर हुआ है।
5- कम वजन वाली मुर्गियों की बिक्री
अजहर मियां नामक एक ट्रेडर ने बताया कि मुर्गियों को पर्याप्त खाना नहीं मिलने और देर से उत्पादन शुरू करने के कारण डिमांड पूरी करने में परेशानी आई।
इस परेशानी को दूर करने के लिए किसानों और ट्रेडर्स ने कम वजन वाली मुर्गियां बेचनी शुरू कर दी, इससे डिमांड और सप्लाई की सामान्य प्रक्रिया प्रभावित हुई, जिसका असर अंडे की बढ़ी हुई कीमत के रूप में दिख रहा है।
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