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दावोस में पीएम मोदी की स्पीच का दीवाना हुआ चीन, कही ये बड़ी बात

स्विटजरलैंड में आयोजित दावोस के विश्व आर्थिक सम्मेलन के उद्घाटन में भाषण देने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसी तीन मुद्दोें पर बात की।

दावोस में पीएम मोदी की स्पीच का दीवाना हुआ चीन, कही ये बड़ी बात
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स्विटजरलैंड में आयोजित दावोस के विश्व आर्थिक सम्मेलन के उद्घाटन में भाषण देने के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसी तीन मुद्दोें पर बात की।

जिसके चलते चीन भी तारीफ करने से नहीं थक रहा है। कहा जा रहा है कि पीएम मोदी ने भाषण में ग्लोबल से जुड़ें ऐसे तीन मुद्दे रखे है जिसको सुन कर चीन भी अपनी सहमति जता रहा है।

लिहाजा उन्‍होंने इसके लिए पूरे विश्‍व से एकजुट होकर काम करने की भी अपील की। पीएम मोदी द्वारा बताई गई इन चुनौतियों में सबसे पहली थी आतंकवाद, दूसरी थी क्‍लाइमेट चेंज और तीसरी थी साइबर सुरक्षा।

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इसके अलावा मोदी ने अपने भाषण में निवेशको के लिए कहा कि देश के विकास के लिए भारत में निवेश करने पर सहूलियतें दी जाएगी।

भारत सरकार ने पहले ही आने वाली जटिलताओं को सरल कर दिखाया है। इसके साथ ही उन्‍होंने ये भी कहा कि भारतीय बाजार में निवेश आज पूरे विश्‍व की जरूरत है।

जिसका उन्‍हें फायदा उठाना चाहिए। पीएम मोदी ने कहा कि हम भारतीय अपने लोकतंत्र और विविधता पर गर्व करते हैं।

धार्मिक, सांस्कृतिक, भाषाई और कई तरह की विविधता के लिए लोकतंत्र महज राजनीतिक व्यवस्था ही नहीं, बल्कि जीवन शैली की एक व्यवस्था है।

पीएम मोदी ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री की यात्रा 1997 में हुई थी, जब पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा आए थे। तब भारत की जीडीपी 4 मिलियन डॉलर के करीब था। अब दो दशक बाद करीब 6 गुना ज्यादा हो गया है।

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उन्होंने कहा कि आज हम एक नेटवर्क सोसाइटी की तरह नहीं, बल्कि बड़े लेवल पर काम कर रहे है। 1997 में यूरो मुद्रा नहीं थी। उस वक्त न ब्रेक्जिट के आसार थे। उस वक्त बहुत कम लोगों ने ओसामा बिन लादेन का नाम और हैरी पॉटर का नाम सुना था।

उस वक्त लोगों को शतरंज के खिलाड़ियों को क्प्यूटर के गेम से हारने का खतरा नहीं था। उस वक्त गूगल का आविष्कार नहीं था। उस वक्त अगर आप अमेजन का नाम नेट पर ढूंढटे तो नदियों का नाम और चिड़ियों का नाम मिलता।

उस वक्त ट्वीट करना चिड़ियों का काम था। मगर आज दो दशक काफी कुछ बदल गया है। लेकिन दावोस तब भी आगे था और आज भी आगे है।

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साइबर सुरक्षा को एहम बताया

पीएम मोदी ने कहा कि आज डेटा बहुत बड़ी संपदा है। आज डेटा के बहुत बड़ा आंकड़ा हो गया है जिसको नियंत्रण करने की होड़ लगी रहती है। आज कहा जा रहा है कि जो डेटा पर अपना काबू रखेगा वही दुनिया में अपना ताकत कायम रखेगा।

आज तेजी से बदलती तकनीक और विनाशकारी कार्यों से पहले से चली आ रही चुनौतियां और भी गंभीर होती जा रही है। उन्होंने कहा कि शांति, स्थिरता सुरक्षा अभी भी गंभीर चुनौती बने हुए हैं।

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भारत मानव मात्र को जोड़ने में विश्वास करता आ रहा है, ना कि उसे तोड़ने और बाटने में नहीं। हजारों साल पहले भी भारत की संस्कृत में चितकों ने लिखा है कि "वसुधैव कटुंबकम" यानी पूरी दुनिया एक परिवार है।

इसलिए हम सब एक परिवार की तरह हैं। हमारी नियति में एक साझा सूत्र हमें जोड़ती है। वसुधैव कुंटुंबकम आज दरारों और दूरियों को मिटाने के लिए सार्थक और प्रांसगिक है।

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सहमति का अभाव होना

इस गंभीर स्थिति से निकलने के लिए सहमति का आभाव है। यही सबसे बड़ा कारण है कि परिवार में भी जहां एक ओर सद्भाव और सामंजस्य होता वो नहीं है।

उन्होंने कहा कि दोस्तों मैं जिन चुनौतियों की ओर इशारा कर रहा हूं, उसका विस्तार बहुत व्यापक है। मैं यहां तीन प्रमुख चुनौतियों को जिक्र करना चाहता हूं। जो मानव सभ्यता के लिए खतरा पैदा कर रहा है।

पहला खतरा- जलवायु परिवर्तन, द्वीप डूब रहे हैं, बहुत गर्मी और बहुत ठंड, बेहद बारिश और बेहद सूखा का प्रभाव ये दिन पर दिन सबके लिए बड़ा संकट बनते जा रहे हैं। जिस तरह दावोस में 20 साल बाद ऐसी बर्फ पड़ी हैं इसका कारण आर्कटिक की बर्फ पिघल रही है।

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मोदी ने कहा कि ढाई हजार साल पहले भगवान बुद्ध ने आवश्यक्ता के अनुसार सिद्धांत को अपने में शामिल किया, महात्मा गांधी ने भी आवश्यक्ता अनुसार सिद्धांत को बल दिया था। साथ ही कहा कि हम अपने फायदे के लिए प्रकृति का दोहन करते जा रहे हैं।

आतंकवाद का बढ़ता प्रकोप

पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद बड़ा खतरा है, लेकिन उससे भी बड़ा खतरा है कि लोग आतंकवाद को भी अच्छा आतंकवाद और बुरा आंतकवाद के रूप में परिभाषित करते हैं।

भारतीय परंपरा में प्रकृति के साथ गहरे तालमेल के बारे में हजारों साल पहले हमारे शास्त्रों में मनुष्यमात्र को बताया गया, कि भूमि माता, पूत्रो अहम पृथ्वया यानी हम लोग इस धरती की संतान हैं।

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उन्होंने कहा कि लोकतंत्र राजनीतिक व्यवस्था ही नहीं, बल्कि जीवन शैली भी है। भारत में लोकतंत्र सेवा सौ करोड़ लोगों के सपनों, आकांक्षाओं और उनके विकास के लिए एक रोडमैप भी तय करता है।

भारत के 6 सौ करोड़ मतदाताओं ने 2014 में किसी एक बीजेपी को पूर्ण बहुमत दिया। हमने किसी एक वर्ग का या सीमित विकास का नहीं, बल्कि सबके विकास का संकल्प लिया है।

हमारी सरकार का नारा है सबका साथ, सबका विकास। हमारी योजना और नीति सबके हित में होती है। हमारी हर चीज में हर किसी को जुड़ते हुए देखा जा सकता

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