भीमा-कोरेगांव हिंसा में अब तक क्या-क्या हुआ, जानिए 10 बिंदुओं में
1 जनवरी को पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव मे हुई हिंसा पूरे महाराष्ट्र में फैल गई है जिसके कारण स्थानीय लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है

एक जनवरी को पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव मे हुई हिंसा पूरे महाराष्ट्र में फैल गई। जिसके कारण स्थानीय लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, हिंसा को लेकर राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं।
महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फणनवीस ने इसकी जांच और तत्काल कार्रवाई करने का आदेश दिया है। वहीं दलितों ने आज महाराष्ट्र में बंद का एलान किया है। भीमा-कोरेगांव हिंसा में अब तक क्या-क्या हुआ।
जानते हैं इन 10 बिंदुओं के जरिए ..
1. आखिर क्या वजह है इस विवाद की
महाराष्ट्र में यह विवाद 'शौर्य दिवस' को मनाए जाने को लेकर चल रहा है कुछ दक्षिणपंथी संगठन शौर्य दिवस मनाये जाने का विरोध का कर रहे हैं उनका मानना है कि यह देश विरोधी आयोजन है।
गौरतलब है कि यहां नये साल के अवसर पर भीमा-कोरेगांव युद्ध की 200वीं जयंती मनाई जा रही थी और तभी मराठा व दलितों के बीच समारोह को लेकर हिंसक झड़प हो गयी हिंसा में एक शख्स की मौत हो गई थी जिसके बाद से हिंसा ने व्यापक रूप धारण कर लिया।
2. क्या है भीमा-कोरेगांव का इतिहास
इतिहास पर नजर डालें तो पता चलता है कि 1 जनवरी 1818 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी और मराठा साम्राज्य के पेशवा के बीच भीमा-कोरेगांव में लड़ाई लड़ी गई थी जिसमें अंग्रेजों ने पुणे के बाजीराव पेशव द्वितीय की सेना को परास्त कर दिया था।
इस लड़ाई में उस समय अस्पृश्य मानी जाने वाली महार जाति ने तब अंग्रेजों का साथ दिया था तभी से महार जाति हर 1 जनवरी को शौर्य दिवस के रूप में मनाती हैं।
3. उमर खालिद और जिग्नेश मेवाणी पर लगे आरोप
पुणे में जब शौर्य दिवस का कार्यक्रम चल रहा था उस समय मंच पर गुजरात के दलित विधायक और जेएनयू क छात्र उमर खालिद भी मौजूद थे उन पर भड़काने वाले देने का आरोप लगाया है अनुमान है कि उनके बाद ही हिंसा भड़क उठी।
4. एकबोते व भिड़े पर भी केस
पुणे की पिंपरी पुलिस ने हिंदू एकता अघाड़ी के मिलिंद एकबोते व शिवराज प्रतिष्ठान के संभाजी भिड़े के खिलाफ भी हिंसा भड़काने का केस दर्ज किया है। दोनों संगठनों ने भीमा-कोरेगांव युद्ध में 'अंग्रेजों की जीत' को शौर्य दिवस के रूप में मनाने का विरोध किया था।
महाराष्ट्र का दलित समुदाय 200 साल से यह मनाता आ रहा है। अब इसके विरोध से दलित समुदाय उग्र हो उठा। मुंबई में ही 160 से ज्यादा बसों में तोड़फोड़ की गई। पुलिस ने 100 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया है।
5. महाराष्ट्र के ठाणे में धारा 144 लागू
हिंसा के भड़कने के बाद ही रमाबाई कॉलोनी और पूर्वी एक्सप्रेस हाइवे पर भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। प्रदर्शनकारियों ने ठाणे स्टेशन पर ट्रेन को रुकवाकर विरोध प्रदर्शन करने की कोशिश की थी। बढ़ती हिंसा को देखते हुए ठाणे में 4 जनवरी की रात्रि तक धारा 144 लागू करने का निर्णय फैसला किया गया।
6. क्या कहा मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने
मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस ने भड़की हिंसा को राज्य सरकार को बदनाम करने की साजिश बताया है। सरकार ने हिंसा की बॉम्बे हाई कोर्ट के मौजूदा न्यायाधीश से जांच के आदेश दे दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने मृतक के परिजनों को 10 लाख का मुआवजा देने और सीआईडी जांच के आदेश दिए हैं और कहा कि सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
7. हिंसा उकसाने के लिए भाजपा और आरएसएस पर लगाया विपक्ष ने आरोप
विपक्षी दलों ने भाजपा और आरएसएस पर दंगों को उकसाने का आरोप लगाया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा,'संघ और भाजपा दलितों को समाज में सबसे नीचे पायदान पर रखना चाहती है।
ऊना, रोहित वेमुला और भीमा-कोरेगांव की हिंसा दलितों के प्रतिरोध के उदाहरण हैं।' वहीं मायावती ने हिंसा में भाजपा का हाथ बताते हुए कहा, 'महाराष्ट्र की भाजपा सरकार ने यह हिंसा करवाई। इसके पीछे भाजपा, आरएसएस और जातिवादी ताकतों का हाथ है।'
8. आरएसएस का बयान
आरएसएस के प्राचार प्रमुख डॅा. मनमोहन वैद्य ने हिंसा की निंदा करते हुए महाराष्ट्र के इलाकों में हुई घटनाओं पर दुख व्यक्त किया है साथ ही कहा कि कुछ लोग समुदायों के बीच नफरत फैलाने की कोशिश कर रहे हैं । उन्होंने जनता से एकता और सद्भाव बनाने की अपील की है।
9. भीमा-कोरेगांव हिंसा का मामला लोकसभा और राज्यसभा में उठा
आज लोकसभा और राज्यसभा में भी पुणे हिंसा का मुद्दा उठाया गया। लोकसभा में विपक्षी पार्टियों ने मुद्दा उठाया। कांग्रेस की तरफ से मल्लिकार्जुन खड़गे ने लोकसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए कहा, 'समाज में विभाजन के लिए कट्टर हिन्दुत्त्ववादी जो वहां आरएसएस के लोग हैं, इसके पीछे उनका हाथ है'।
वहीं राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने पुणे में जातीय हिंसा का मुद्दा उठाने की कोशिश की तो सभापति एम वेंकैया नायडू ने उन्हें बोलने का मौका ही नहीं दिया और तुरंत सदन की कार्यवाही बारह बजे तक स्थगित कर दी जिससे शून्यकाल नहीं हो सका।
10. आम जनता पर प्रभाव
हिंसा से महाराष्ट्र के लोगों का जीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है। मुंबई में आज स्कूल बसों की सेवा बंद कर दी गई है। ठाणे में ऑटो-रिक्शा की कमी के कारण ऑफिस जाने वाले लोगों को काफी परेशानियां का सामना करना पड़ रहा है।
कुछ प्रदर्शनकारियों ने ठाणे में रेलवे सेवा को भी प्रभावित करने की कोशिश की लेकिन वहां मौजूद आरपीएफ और जीआरपी बलों ने तत्काल इस पर काबू पा लिया। नालासोपारा रेलवे स्टेशन के रेलवे ट्रैक पर बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने रेलवे जाम कर रखा है।
मुंबई तक पहुंचे हिंसा के असर ने कई लोकल ट्रेंनों और बसों को भी इसका शिकार बनाया गया। मुंबई प्रसिद्ध डब्बावाला संगठन ने भी हिंसा को देखते हुए एक दिन के लिए अपनी सेवा बंद करने का फैसला किया है।
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