सबरीमला में द्वार खुलने से पहले महिलाओं को मंदिर जाने से रोका गया, तनाव की स्थिति
शीर्ष अदालत के आदेश के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करने के मुद्दे पर बातचीत करने में बोर्ड की अनिच्छा से ये लोग निराश दिखे। इस बीच भगवान अयप्पा की सैकड़ों महिला श्रद्धालुओं ने मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर जाकर उन महिलाओं को मंदिर से करीब 20 किलोमीटर पहले निलाकल में रोकने का प्रयास किया जिनकी आयु 10 से 50 साल है।

सबरीमला मंदिर में सभी आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति देने के उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद से मंदिर के द्वार कल खुलने जा रहे हैं और भगवान अयप्पा की सैकड़ों महिला भक्तों ने निलाकल में मासिक धर्म की आयु वाली महिलाओं और लड़कियों को रोकने के लिए रास्ते में वाहन रोककर देखे और उन्हें आगे नहीं जाने दिया। इसके बाद तनाव और बढ़ गया है।
उच्चतम न्यायालय ने 10 से 50 साल की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से रोकने की सदियों पुरानी परंपरा पिछले महीने हटा दी थी और सभी आयुवर्ग की महिलाओं को प्रवेश करने की अनुमति दी थी। उस आदेश के बाद से कल पहली बार मंदिर के द्वार खुलेंगे।
हालात को सुलझाने के लिए त्रावणकोर देवस्वम बोर्ड (टीडीबी) के अंतिम प्रयास बेकार रहे जहां पंडालम शाही परिवार और अन्य पक्षकार इस मामले में बुलाई गयी बैठक को छोड़कर चले गये।
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शीर्ष अदालत के आदेश के खिलाफ समीक्षा याचिका दायर करने के मुद्दे पर बातचीत करने में बोर्ड की अनिच्छा से ये लोग निराश दिखे। इस बीच भगवान अयप्पा की सैकड़ों महिला श्रद्धालुओं ने मंदिर की ओर जाने वाले मार्ग पर जाकर उन महिलाओं को मंदिर से करीब 20 किलोमीटर पहले निलाकल में रोकने का प्रयास किया जिनकी आयु 10 से 50 साल है।
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