- जम्मू कश्मीर के पुलवामा में एनकाउंटर के दौरान जैश का आतंकी ढेर
- Delhi Air Pollution: दिल्ली में वायु प्रदूषण हुआ कम, लोधी रोड में 217 रिकॉर्ड हुआ AQI
- भारत ने अग्नि-2 बैलिस्टिक मिसाइल का किया सफल परीक्षण
- Breaking: गोवा में MiG-29K फाइटर एयरक्राफ्ट क्रैश, दोनों पायलट सुरक्षित
- महाराष्ट्र: राफेल पर राहुल गांधी से माफी मांगने को लेकर मुंबई में भाजपा का विरोध प्रदर्शन
- Ayodhya Verdict Live: 15 दिनों के अंदर होगी सुन्नी बोर्ड की बैठक, रामलला के मुख्य पुजारी के घर की सुरक्षा बढ़ी
- Delhi Air Pollution: दिल्ली में फिर बढ़ा प्रदूषण, जानें आज कितना है AQI
- भीमा कोरेगांव विवाद: पुणे कोर्ट से सभी आरोपियों को दिया बड़ा झटका, जमानत याचिका की खारिज
- महाराष्ट्र: मातोश्री के बाहर शिवसेना नेता ने लगाए पोस्टर, लिखा- 'मेरा विधायक, मेरा मुख्यमंत्री'
- Delhi Air Pollution: दिल्ली में वायु प्रदूषण से मिली थोड़ी राहत, AQI में आई थोड़ी सी गिरावट
200 साल पुरानी है भीमा कोरेगांव जातीय संघर्ष की लड़ाई, जानिए क्यों हुआ था युद्ध
महाराष्ट्र में दलितों और मराठा समुदाय के बीच सोमवार को हुई हिंसा की आग धीरे-धारे पूरे महाराष्ट्र में फैल गई है।

महाराष्ट्र में दलितों और मराठा समुदाय के बीच सोमवार को हुई हिंसा की आग धीरे-धारे पूरे महाराष्ट्र में फैल गई है। जिसके बाद आज दलित संगठनों ने महाराष्ट्र बंद का ऐलान किया है। इस विवाद के चलते आज हम आपको बता रहे है भीमा कोरेगांव की असली कहानी, जब 800 महारों ने 28 हजार मराठों को हराया था।
घटना 1818 की है, जब पेशवा बाजीराव द्वितीय के साथ 28 हजार मराठा ब्रिटिश पर हमला करने पुणे जा रहे थे। इसी दौरान उन्हें रास्ते में 800 सैनिकों की फोर्स मिली, जो पुणे में ब्रिटिश सैनिकों का साथ देने वाले थे। बाजीराव ने 2000 सैनिक भेजकर इन लोगों पर हमला करा दिया।
12 घंटे तक लगातार की लड़ाई
ईस्ट इंडिया कंपनी की कप्तान फ्रांसिस स्टॉन्टन की अगुवाई वाली यह टुकड़ी 12 घंटे तक लगातार लड़ती रही। इन्होंने अपनी पूरी जान लगा दी और मराठाओं को कामयाब नहीं होने दिया, जिसके बाद में मराठों ने कदम पीछे खींचे। मराठा सैनिक जिस टुकड़ी से भिड़े थे, उनमें जो फौजी थे वो महार दलित समुदाय के थे।
पेशवा के मारे गए थे इतने सैनिक
इतिहासकारों में है मतभेद
इस युद्ध को लेकर दलित और मराठा समुदाय में अलग-अलग तर्क है। जानकारों के अनुसार, दलितों की इतनी खराब दशा थी की नगर में घुसते ही इन्हें अपनी कमर में झाड़ू बांधकर चलना होता था, जिससे उनके पैरों के निशान झाड़ू से मिटते चल जाएं।
वहीं कुछ इतिहासकारों का कहना है कि महारों ने मराठों को नहीं ब्राह्मणों को हराया था, जसके बाद बाह्मणों ने छुआछूत दलितों पर थोप दी। इसके बाद जब महारों ने आवाज बुलंद की तो बाह्मण नाराज हो गए। कहा जाता है कि इसी वजह से महार ब्रिटिश फौज से मिल गए थे।