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अयोध्या/ शिल्पकार अमन कुमार का छलका दर्द, युवाओं ने भी बयां की दास्तां

आम चुनाव 2019 से पहले अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए तेज होती मांग के बीच इस पवित्र नगरी के कई युवाओं ने कहा कि वे ''राजनीतिक झमेले'' में नहीं पड़ना चाहते। हालांकि युवाओं का एक तबका राम मंदिर निर्माण को लेकर उत्साहित है।

अयोध्या/ शिल्पकार अमन कुमार का छलका दर्द, युवाओं ने भी बयां की दास्तां
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अगले साल आम चुनाव 2019 से पहले अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए तेज होती मांग के बीच इस पवित्र नगरी के कई युवाओं ने कहा कि वे 'राजनीतिक झमेले' में नहीं पड़ना चाहते और उनका भविष्य प्रस्तावित मंदिर पर निर्भर नहीं है।

युवाओं का एक अन्य तबका राम मंदिर निर्माण को लेकर उत्साहित है, लेकिन उसका यह भी कहना है कि यह सांप्रदायिक सौहार्द्र की कीमत पर नहीं होना चाहिए। शिल्पकार अमन कुमार अयोध्या में श्री राम मूर्ति नाम से दुकान चलाते हैं।

उन्होंने कहा कि अयोध्या भगवान राम की भूमि है। मेरा जन्म यहां हुआ और मेरे परिवार की तीन से अधिक पीढ़ियां यहां रही हैं। हमारा परिवार रामभक्त है और रामलला को तंबू में देखकर दुख होता है। रामलला की एक मूर्ति लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की मूर्तियों के साथ विवादित स्थल पर एक तंबू में रखी है। हिन्दू इस स्थल को राम जन्मभूमि मानते हैं।

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मंदिर मुद्दे पर वर्तमान माहौल के बारे में पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि अयोध्या में सभी समुदायों के लोग हमेशा शांति के साथ रहते आए हैं। ये एजेंडा चलाने वाले बाहरी लोग और नेता हैं जो हमारे शहर में आते हैं और माहौल खराब करते हैं। यदि राम मंदिर बनता है तो मुझे बहुत खुशी होगी, लेकिन यह सांप्रदायिक सौहार्द की कीमत पर नहीं होना चाहिए।

अयोध्या में 1992 की यादें लोगों को अब भी डराती हैं

कारसेवकों ने छह दिसंबर 1992 को विवादित ढांचे को ढहा दिया था जिसके बाद देश के कई हिस्सों में दंगे हुए थे। वर्ष 1992 की यादें लोगों को अब भी डराती हैं जो हिंसा से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित हुए थे।

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1992 की कारसेवा के बाद से 'रामभक्तों' का सबसे बड़ा जमावड़ा

वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कहा कि विश्व हिन्दू परिषद की धर्म सभा के मद्देनजर शहर में सुरक्षा मजबूत कर दी गई है। इस धर्म सभा को 1992 की कारसेवा के बाद से 'रामभक्तों' का सबसे बड़ा जमावड़ा माना जा रहा है।

हिन्दू-मुस्लिम की जोड़ी

कई भारतीय भाषाओं की जानकारी रखने वाले और मस्तक पर तिलक लगाकर रखने वाले रोहित पांडेय 18 साल के हैं और टूर गाइड के रूप में काम करते हैं। वह शहर के 46 वर्षीय ऑटो चालक मोहम्मद अजीम के साथ मित्रवत भाव से रहते हैं।

पांडेय ने कहा कि हम प्यार से उन्हें (अजीम) मामू कहकर बुलाते हैं। वह यहां पर्यटकों को लाते हैं और फिर मैं पर्यटकों को राम जन्मभूमि तथा अन्य स्थलों पर ले जाता हूं। यहां हिन्दू-मुसलमानों को कोई समस्या नहीं है। मैं राम मंदिर चाहता हूं, लेकिन शांति का माहौल खराब नहीं होना चाहिए।

अजीम का कहना है कि पांडेय उनके चार बेटों में एक की उम्र का है और उसके जैसे युवा अपने भविष्य पर ध्यान देना चाहते हैं, लेकिन नेता उन्हें भ्रमित करते हैं। उन्होंने कहा कि उनके बेटे अपने करियर पर ध्यान देना चाहते हैं, न कि इस मुद्दे पर।

अयोध्या को लेकर युवा की राय

अयोध्या निवासी 18 वर्षीय विकास द्विवेदी मेरठ स्थित चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं अपने भविष्य, अपने परिवार के भविष्य पर ध्यान दे रहा हूं। राम मंदिर का मुद्दा न तो मेरे करियर को प्रभावित करेगा, न ही मैं इससे प्रभावित हूंगा।

प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे अयोध्या निवासी एक अन्य युवा अनिल यादव का कहना है कि हमारे मित्रों में सभी समुदायों के लोग हैं। हम होली और ईद साथ मनाते हैं। कुछ नेता और दक्षिणपंथी समूह राम मंदिर मुद्दे को भले ही उठा रहे हों, लेकिन मैं अपने करियर पर ध्यान दूंगा।

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