अयोध्या विवाद : राम मंदिर के लिए किस जमीन की बात कर रहे हैं मोदी सरकार, ये 5 प्वाइंट दूर कर देंगे आपका भ्रम
लोकसभा चुनाव 2019 से पहले अयोध्या में विवादित रामजन्मभूमि मामले पर मोदी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दायर की है। सरकार ने कहा कि अयोध्या में जो गैर-विवादित जमीन है, उसे रामजन्मभूमि न्यास को दे दी जाए। इस फैसले का वीएचपी ने स्वागत किया है।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्लीCreated On: 29 Jan 2019 2:10 PM GMT Last Updated On: 29 Jan 2019 2:10 PM GMT
लोकसभा चुनाव 2019 (Lok Sabha Elections 2019) से पहले अयोध्या (Ayodhya) में विवादित रामजन्मभूमि मामले पर मोदी सरकार (Modi Govt) ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में अर्जी दायर की है। सरकार ने कहा कि अयोध्या में जो गैर-विवादित जमीन है, उसे रामजन्मभूमि न्यास (Ramjanmbhumi Niyas) को दे दी जाए। इस फैसले का वीएचपी ने स्वागत किया है। सुप्रीम कोर्ट से केंद्र सरकार ने कहा है कि रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को छोड़ गैर विवादित जमीन हिंदू पक्षकारों को दे दी जाए। वह रामजन्मभूमि न्यास को दे दिया जाए। जबकि 2.77 एकड़ भूमि का कुछ हिस्सा भारत सरकार को वापस लौटा दिया जाए।
राम जन्मभूमि जमीन का विवाद
अंग्रेजों के जमाने से चला आ रहा अयोध्या में 2.77 एकड़ जमीन पर जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद विवाद है। इसी विवाद को लेकर भाजपा साधु संतों के निशाने पर है। इस जमीन पर विवादित ढांचा और रामलला विराजमान हैं। इसी विवादित जमीन के पास केंद्र सरकार ने 67 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। जो कि भारत सरकार की जमीन है।
ये हैं 5 प्वाइंट...
1. केंद्री की मोदी सरकार ने कोर्ट से गैर विवादित 67 एकड़ जमीन वापस करने को कहा है। जिसपर कोर्ट से इजाजत मांगी है। ऐसे में अगर इजाजत मिलती है तो फिर राम मंदिर यहीं बनेगा।
2. 67 एकड़ में से 2.77 एकड़ जमीन पर विवाद है। जिसका फैसला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। जिसको लेकर मोदी सरकार साफ कह चुकी है कि इसपर सरकार अध्यादेश नहीं लाएगी।
3. मोदी सरकार ने 2014 में वादा किया था कि वो राम मंदिर का निर्माण करवाएगी। लेकिन अब वो इस वादे से मुकर रही है और साधु संतों में सरकार के खिलाफ बेचैन दिख रही है। इसी डर की वजह से सरकार ने यह फैसला लिया है।
4. साधु संतों की मांग है कि राम मंदिर वहीं बने। जहां पर रामलला विराजमान हैं। ऐसे में अलग जगह पर मंदिर निर्माण मोदी सरकार के लिए खतरे की घंटी बजा सकता है।
5. अयोध्या में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन को लेकर 0.313 एकड़ पर पूरा विवाद है। 2.77 पर इलाहाबाद हाईकोर्ट पहले ही अपना फैसला सुना चुका है। जिसकी सुनवाई कोर्ट में चल रही है। ऐसे में अगर सरकार गैर विवादित जमीन मांगती है तो भी विवादित जमीन का मुद्दा जों का तौ ही रहेगा।
जानकारी के लिए बता दें कि अयोध्या में जमीन विवाद के आसपास की करीब 70 एकड़ जमीन भारत सरकार के पास है। इसमें से 2.77 एकड़ की जमीन पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था। जिस भूमि पर विवाद है वह जमीन 0.313 एकड़ ही है। जिस पर मुस्लिम पक्षकार और हिंदू पक्षकार सालों से फैसले का इंतजार कर रहे हैं।
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