93वें साल के हुए भारत रत्न अटल , जानिए गांधी और वाजपेयी की दोस्ती के बारे में
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी आज 93 वर्ष के हो गये हैं और 1924 में जन्मे वाजपेयी ने भारत छोड़ो आंदोलन के जरिए 1942 में भारतीय राजनीति में कदम रखा।

1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में जन्मे भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी ने महात्मा गांधी के 'भारत छोड़ो आंदोलन' के जरिए 1942 में भारतीय राजनीति में कदम रखा, अटल के इसी कदम के साथ उनका संबंध इतना प्रगाढ़ हो गया था कि गांधी जी उन्हें भारत की आजादी के लिए आन्दोलनों में बुलावा भिजवाते थे।
राष्ट्रपिता गांधी से प्रभावित अटल बिहारी वाजपेयी जी गांधी के हर आंदोलन में उनके साथ बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते रहे और एक समय ऐसा आया जब अटल जी गांधी जी को अपना दोस्त मानाने लगे। वाजपेयी जी के हसमुख चेहरे और गंभीर वाणी ने बड़े बड़े नेताओं की बोलती बंद कर दी थी।
अटल सबसे लम्बे समय तक सांसद रहे हैं और जवाहरलाल नेहरू व इंदिरा गांधी के बाद सबसे लम्बे समय तक गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी। वह पहले प्रधानमंत्री थे जिन्होंने गठबन्धन सरकार को न केवल स्थायित्व दिया अपितु सफलता पूर्वक संचालित भी किया।
आज अटल बिहारी वाजपेयी जी के 93वें जन्मदिन पर उन्हें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं। राष्ट्रपति कोविंद ने ट्वीट किया, 'हमारे अत्यंत लोकप्रिय और सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।'
वहीं उपराष्ट्रपति वैंकया नायडू ने ट्वीट किया है, 'भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी को आज उनके जन्मदिन पर हार्दिक शुभकामनाएं।' उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री की लिखी कविता भी साझा की है जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री ने लोगों से एकजुट रहने और संकट के समय उम्मीद न त्यागने का आह्वान किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने भी अटल जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं देते हुए ट्वीट किया, 'हमारे प्रिय अटल जी को जन्मदिन की शुभकामनाएं। उनके बेहतरीन और दूरदृष्टि वाले नेतृत्व ने भारत को और विकसित बनाया है और विश्व मंच पर हमारी प्रतिष्ठा बढ़ाई है। मैं उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना करता हूं।
वाजपेयी 1991, 1996, 1998, 1999 और 2004 में लखनऊ से लोकसभा सदस्य चुने गये। वह बतौर प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूर्ण करने वाले पहले और अभी तक एकमात्र गैर-कांग्रेसी नेता हैं। अटल ही पहले विदेश मंत्री थे जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी में भाषण देकर भारत को गौरवान्वित किया था।
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