मार्शल अर्जन सिंह ने जब तोड़ दी पाकिस्तान की कमर, इतने बारूद बरसाए कि भागने की जगह नहीं मिली
जंग में उनके सफल संचालन की वजह से ही वायुसेना ने पाकिस्तान पर बढ़त हासिल की और उसे घुटने टेकने पर मजबूर होना पड़ा।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्लीCreated On: 16 Sep 2017 9:54 PM GMT
एयर वाइस मार्शल (एवीएम) मनमोहन बहादुर ने कहा कि मार्शल अर्जन सिंह के निधन से हम सभी शोक संतृप्त हैं। वह हमेशा वायुसेना के लिए मार्गदर्शक की भूमिका में रहेंगे। 1965 की जंग में उनके सफल संचालन की वजह से ही वायुसेना ने पाकिस्तान पर बढ़त हासिल की और उसे घुटने टेकने पर मजबूर होना पड़ा।
हालांकि उस वक्त वायुसेना के पास पाकिस्तान के मुकाबले में ज्यादा आधुनिक विमान नहीं थे। लेकिन वायुसेना को पहली बार देश के लिए किसी लड़ाई में सीधे शामिल किया गया था।
मार्शल ने वायुसेना के असैन्य तबके के लिए भी फंड की शुरुआत की थी। यह उनके मानवीय व्यक्तित्व की एक मजबूत सकारात्मक छवि को प्रदर्शित करता है। मेरे लिए वह एक भारत रत्न की तरह हैं। एवीएम बहादुर ने कहा कि वायुसेना आज अपने जिस आधुनिकीकरण के उफान पर है। उसका काफी हद तक श्रेय मार्शल अर्जन सिंह को ही जाता है।
उनके नाम पर बना है एयरफोर्स बेस
अप्रैल 2016 में मार्शल अर्जन सिंह के 97वें जन्मदिन के मौके पर तत्कालीन एयरफोर्स चीफ अरुप राहा ने पश्चिम बंगाल स्थित पनागढ़ एयरफोर्स बेस का नाम उनके नाम पर रखा था। पनागढ़ एयरबेस अब एमआईएफ अर्जन सिंह के नाम से जाना जाता है। यह पहली बार था जब एक जीवित ऑफिसर के नाम सैन्य प्रतिष्ठान का नाम रखा गया।
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