अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर: खतरे में विश्व की अर्थव्यवस्था, भारत को होगा ये नुकसान- जानें पूरा मामला
अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वार का छिड़ना विश्व की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी बात नहीं होगी। अमेरिका ने चीन से आयात पर 60 अरब डॉलर यानी 3910 अरब रुपये के टैरिफ की घोषणा की है। अमेरिका के फैसले से चीन का स्टील निर्यात प्रभावित होगा, इसलिए जवाब में चीन ने भी अमेरिका से आयात होने वाले सौ उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने का ऐलान किया है।

अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर का छिड़ना विश्व की अर्थव्यवस्था के लिए अच्छी बात नहीं होगी। ट्रेड वार से वैश्विक अर्थव्यवस्था और विकास दर सीधे प्रभावित होंगे। भारत पर तत्काल प्रभाव तो नहीं पड़ेगा, लेकिन इसके लंबे समय तक जारी रहने से दूरगामी प्रभाव पड़ेंगे। विश्व के दो अहम अर्थव्यवस्थाओं के बीच ट्रेड वार देर-सवेर समूचे विश्व में संरक्षणवाद को बढ़ावा देगा और वैश्वीकरण व उदारीकरण को धक्का पहुंचाएगा।
#UPDATE US and China's top economic officials agree to "continue to communicate" on trade, as President Trump pledges his escalating trade showdown will get results https://t.co/IKYGT42d2h pic.twitter.com/UQ3RN5I4Zc
— AFP news agency (@AFP) March 24, 2018
अभी पहले अमेरिका ने अपनी आर्थिक नीतियों में संरक्षणवाद को बढ़ावा देना शुरू किया। उसने पहले 12 देशों के साथ उसने अपने टीपीपी (ट्रांस पैसिफिक पार्टनरशिप) करार को रद किया, उसके बाद स्टील और एल्यूमिनियम पर आयात शुल्क बढ़ाया। अब अमेरिका ने चीन से आयात पर 60 अरब डॉलर यानी 3910 अरब रुपये के टैरिफ की घोषणा की है।
ट्रंप ने अमेरिका की बौद्धिक संपदा को ‘अनुचित' तरीके से जब्त करने को लेकर चीन को दंडित करने के लिए उस पर टैरिफ लगाने का कदम उठाया है। चीन दुनिया का सबसे बड़ा स्टील निर्यातक देश है। अमेरिका के फैसले से चीन का स्टील निर्यात प्रभावित होगा, इसलिए जवाब में चीन ने भी अमेरिका से आयात होने वाले सौ उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ाने का ऐलान किया है।
अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर
चीन पोर्क, सेब और स्टील पाइप पर आयात शुल्क लगा सकता है। दरअसल यह ट्रेड वार या व्यापार की लड़ाई संरक्षणवाद का नतीजा है। अगर कोई देश किसी देश के साथ ट्रेड पर टैरिफ या ड्यूटी बढ़ाता है और दूसरा देश इसके जवाब में ऐसा ही करता है तो समझिए ट्रेड वार की स्थिति बन चुकी है। दो देशों से शुरू ऐसी ट्रेड वार धीरे-धीरे विश्व के कई देशों के बीच व्यापारिक तनाव का माहौल बना सकता है।
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अपने देश के उद्योग बचाने के लिए अधिकतर देश ऐसे टैरिफ लगाते हैं, जिसे संरक्षणवाद कहा जाता है। अजीब विडंबना है कि उदारीकरण और वैश्वीकरण की शुरुआत भी अमेरिका से हुई थी, जब दुनिया संरक्षणवाद के अधीन थी। अब जब विश्व में उदारीकरण, मुक्त बाजार व्यवस्था और वैश्वीकरण पर आधारित अर्थव्यवस्था है तो उसी अमेरिका से संरक्षणवाद की हवा निकली है।
भारत को होगा ये नुकसान
जेपी मॉर्गन के मुताबिक यूएस व चीन के बीच ट्रेड वार से भारत के अछूते रहने की संभावना है। कारण अभी टैरिफ ट्रेड वार है। अगर नॉन टैरिफ ट्रेड वार शुरू होगा तो भारत, मैक्सिको जैसे देशों को अधिक नुकसान होगा। अमेरिका नए टैक्स सुधार में अपने आयातों पर अतिरिक्त टैक्स लगा सकता है। यूएस की इन संरक्षणवादी नीतियों पर चिंता स्वाभाविक है, क्योंकि इससे ग्लोबल अर्थवयवस्था के विकास पर असर पड़ सकता है।
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यूएस की नीतियों से चीन, कोरिया, वियतनाम को दिक्कत हो सकती है। भारत, इंडोनेशिया, मलयेशिया और वियतनाम अभी तक अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई व्यापार नीतियों से बचे हुए हैं, लेकिन आने वाले समय में मुमकिन है कि ये देश ट्रंप की नीतियों के शिकार बन जाएं। चीन यूएस के ट्रेड वार से सेंसेक्स 500 अंक टूटा है।
इससे साफ है कि इस विश्व बाजार पर खतरनाक असर पड़ सकता है। वैश्विक ट्रेड वार से बेरोजगारी बढ़ेगी, आर्थिक रफ्तार कम होगी और ट्रेडिंग साझेदार देशों के रिश्ते बिगड़ेंगे। विश्व व्यापार संगठन, अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष को हस्तक्षेप कर इस ट्रेड वार को रोकना चाहिए।
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