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चाचा VS भतीजे की लड़ाई की पूरी वजह यह थी!

अखिलेश ने इशारो-इशारों में अमर सिंह के बढ़ते हस्तक्षेप पर ऊंगली उठायी

चाचा VS भतीजे की लड़ाई की पूरी वजह यह थी!
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लखनऊ. समाजवादी पार्टी के संकट खत्म होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। बुधवार को दोनों भाई यानी मुलायम सिंह यादव और शिवपाल यादव के बीच इस मामले को लेकर मुलाकात हुई। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस मुलाकात में शिवपाल का दर्द छलका और उन्होंने पार्टी प्रमुख से कहा कि उनके आदेशों का पालन करने के बाद भी उन्हें विलेन के तौर पर पेश किया जा रहा है। आपको बता दें कि शिवपाल पार्टी प्रमुख मुलायम के छोटे भाई हैं। उन्होंने बुधवार को दिल्ली में मुलायम से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की। दोनों नेताओं की बैठक करीब चार घंटे तक चली।
इससे पहले मंगलवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा राज्य के मुख्य सचिव दीपक सिंघल को हटाने के बाद से शुरू हुई समाजवादी पार्टी का आंतरिक कलह खुल कर सामने आ गया। हालांकि, खुद मुख्यमंत्री ने सफाई दी कि झगड़ा सरकार का है, परिवार का नहीं। यह भी कहा कि घर के बाहर के लोग यदि हस्तक्षेप करेंगे, तो पार्टी कैसे चलेगी। ‘घर के बाहर के लोग' से अखिलेश का संकेत शायद हाल ही में सपा में वापसी करनेवाले राज्यसभा सांसद अमर सिंह की ओर था।
अखिलेश ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा कि परिवार में सब नेताजी की बात मानते हैं। मैंने भी नेताजी की बात मानी। भला कौन नहीं उनकी बात मानेगा। लेकिन, बाहरी लोग हस्तक्षेप करेंगे, तो समस्या होगी। कुछ निर्णय जरूर मैंने लिये हैं। वैसे भी कभी-कभी कुछ निर्णय अपने आप लिये जाते हैं। माना जा रहा है कि अखिलेश ने इशारो-इशारों में अमर सिंह के बढ़ते हस्तक्षेप पर ऊंगली उठायी है। बताया जाता है कि अमर सिंह ने दिल्ली में रात्रिभोज का आयोजन किया था, जिसमें सिंघल शामिल हुए थे। खुद अखिलेश इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए थे।
शिवपाल यादव ने कहा कि विभाग देना या लेना और सलाहकारों को रखना मुख्यमंत्री का विशेषाधिकार है। मैं नेताजी के निर्देश का पालन करूंगा। भविष्य में क्या करेंगे, इस सवाल पर शिवपाल बोले कि हमें नेताजी के जो भी निर्देश होंगे, उसे मानेंगे। जो जिम्मेदारी उन्होंने दी है, सोच समझ कर दी है। दिल्ली में मुलायम से मुलाकात के दौरान शिवपाल ने कहा कि उन्हें विलेन के तौर पर पेश किया जा रहा है। पार्टी और परिवार में कोई मतभेद नहीं है। इस बीच राज्यसभा सांसद और मीडिया हस्ती सुभाष चंद्रा भी मुलायम के आवास पर पहुंचे और वहां दो घंटा रहे।
सीएम पद की दावेदारी, कलह की वजह
अखिलेश को 2012 में मुख्यमंत्री बनाया था। तब दावेदार शिवपाल भी थे। उसी समय तय हो गया था कि पार्टी में अंदरुनी खींचतान और दबाव चलता रहेगा। पिछले दिनों जब शिवपाल से पूछा गया कि 2017 में सीएम पद का चेहरा कौन होगा, तो उन्होंने कहा कि यह संसदीय बोर्ड तय करेगा। अखिलेश का नाम लेने से बचे।
अखिलेश पार्टी का युवा चेहरा हैं। उन्होंने विकास के दावे के साथ जनता के बीच अपनी छवि बनाने की कोशिश की। हाल ही में कौमी एकता दल के सपा में विलय के पिता मुलायम के फैसले को पलट दिया था। अखिलेश ने भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे दो मंत्रियों को उनके पदों से हटा दिया ताकि ‘मिस्टर क्लीन' की छवि बनी रहे।
ध्यान बांटने की कोशिश : भाजपा
भाजपा के राष्ट्रीय सचिव श्रीकांत शर्मा ने आरोप लगाया कि यह पूरी कवायद राज्य में अपराध और भ्रष्टाचार जैसे मुख्य मुद्दे से जनता का ध्यान बांटने का ‘हाइ वोल्टेज ड्रामा' है और जनता इनके झांसे में नहीं आयेगी और उसने भाजपा के पक्ष में परिवर्तन का मन बना लिया है।
सपा की साइकिल पंक्चर : राहुल
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी वर्तमान कलह पर कहा कि सपा की साइकिल पंक्चर हो चुकी है। अब इसका आगे बढ़ना मुश्किल है। उन्होंने सरकार की नीतियों पर भी प्रहार किया आैर कहा कि किसानों का हाल दिनों- दिन बेहाल हुआ है। इस ओर किसी का ध्यान नहीं है।

ताजा घटनाक्रम पर एक नजर
विगत कुछ महीनों से गंभीर मतभेदों से दो चार मुलायम परिवार का द्वंद्व मंगलवार को उस समय बढ़ गया, जब मुख्यमंत्री अखिलेश ने प्रदेश के मुख्य सचिव दीपक सिंघल को हटा दिया। सिंघल अखिलेश के चाचा कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव के करीबी माने जाते हैं। जैसे को तैसा की तर्ज पर मुलायम ने बेटे अखिलेश से प्रदेश सपा अध्यक्ष का पद छीन कर शिवपाल को दे दिया, लेकिन कुछ ही घंटों में मुख्यमंत्री अखिलेश ने चाचा के महत्वपूर्ण मंत्रालय लोक निर्माण विभाग, सिंचाई और सहकारिता विभाग उनसे छीन लिये।
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