RBI ने लिया बड़ा फैसला, बैंकों को LOU जारी करने पर लगाई रोक
देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले की जड़ लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बड़ा फैसला लिया है।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्लीCreated On: 14 March 2018 7:40 AM GMT Last Updated On: 14 March 2018 7:40 AM GMT
देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले की जड़ लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) पर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने बड़ा फैसला लिया है। आरबीआई ने बैंकों को एलओयू जारी करने से रोक दिया है। अरबपति जूलर नीरव मोदी और उनके मामा मेहुल चौकसी ने इसी जरिए ही देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक में 13,000 करोड़ रुपए के घोटाले को अंजाम दिया।
आरबीआई ने कहा कि ट्रेड फाइनेंस के लिए एलओयू और लेटर ऑफ कंफर्ट (एलओसीज) के इस्तेमाल को रोकने वाला फैसला तुरंत प्रभाव से लागू हो गया है। सेंट्रल बैंक ने एक नोटिफिकेशन में कहा, मौजूदा दिशानिर्देशों की समीक्षा के बाद भारत में आयात के लिए एलओयू /एलओसी जारी करने पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई जा रही है।
पंजाब नेशनल बैंक ने यह जानकारी दी थी कि विदेशों से सामान मंगाने के नाम पर धोखाधड़ी वाले एलओयू के जरिए 12,967 करोड़ रुपए का चूना लगाया गया। इसके बाद सीबीआई और ईडी सहित कई एजेंसियों ने पीएनबी घोटाले की जांच शुरू कर दी थी। आरबीआई के नोटिफिकेशन में आगे कहा गया है कि भारत में आयात के लिए ट्रेड क्रेडिट, लेटर ऑफ क्रेडिट और बैंक गारंटीज प्रावधानों के तहत जारी की जा सकती है।
क्या है एलओयू
लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) एक तरह की गारंटी होती है, जिसके आधार पर दूसरे बैंक खातेदार को पैसा मुहैया करा देते हैं। व्यापारी इसका इस्तेमाल विदेशों से सामान आयात करने के लिए करते हैं। यदि खातेदार डिफॉल्ट कर जाता है तो एलओयू मुहैया कराने वाले बैंक की यह जिम्मेदारी होती है कि वह संबंधित बैंक को बकाए का भुगतान करे।
एलओयू के जरिए कैसे हुआ फ्रॉड
पीएनबी के कर्मचारियों ने घोटाले को आरोपियों के साथ मिलकर फर्जी तरीके से स्विफ्ट प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल करके नीरव मोदी और मेहुल चौकसी की कंपनियों के पक्ष में एलओयू के मेसेज भेजे। विदेशों में बैंकों की शाखाओं के लिए स्विफ्ट मसेज एक गारिंटी की तरह से होते हैं, जिसके आधार पर बैंक मेसेज में जिस बेनिफिशरी का नाम लिखा होता है उसे कर्ज मुहैया करवाते हैं।
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