कोविंद ने संभाली राष्ट्रपति पद की कमान, भूख हड़ताल पर बैठे 300 दलित परिवार
इसके पहले रामनाथ कोविंद बिहार के राज्यपाल रह चुके हैं।

भारत के 14 वें राष्ट्रपति के रूप में रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को शपथ ली। इसके पहले रामनाथ कोविंद बिहार के राज्यपाल भी रह चुके हैं।
रामनाथ कोविंद उत्तर प्रदेश के एक गरीब दलित परिवार में पैदा हुए और उन्होंने बड़े संघर्षों के साथ राष्ट्रपति भवन तक का सफर तय किया है।
रामनाथ कोविंद के राष्ट्रपति बनने के बाद लोग ये उम्मीद कर रहे है कि देश भर में दलितों पर कथित रूप से हो रहे अत्याचार कम हो जाएंगे।
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लेकिन इसी बीच आंध्र प्रदेश के कुछ दलित कथित रूप से उन पर हो रहे अत्याचारों से नाराज होकर अनिश्चित काल के लिए हड़ताल पर बैठ गए है।
इंडिया टुडे कि एक रिपोर्ट के मुताबिक आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले के एक गांव गरागापारु के करीब 300 दलित परिवार उच्च जाति द्वारा बहिष्कार से नाराज है।
इन दलित समुदाय के करीब 300 परिवारों के सदस्यों ने ऊंची जाती द्वारा सामाजिक बहिष्कार के विरोध में ये कदम उठाया है।
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बताया जाता है कि ये सभी लोग माला समुदाय से ताल्लुक रखते है। आंध्र में इस जाती को अनुसूचित जाति का दर्जा दिया हुआ है।
जानकारी के मुताबिक 24 अप्रैल को माला समुदाय के लोगों ने भीमराव अंबेडकर का पुतला लगाया था।
लेकिन गांव में रहने वाले उच्च जाती के लोगों ने कथित रुप से इसका विरोध किया था। इसके बाद कुछ अज्ञात लोगों ने अंबेडकर की इस मूर्ति को हटा दिया था।
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