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26/11 बरसीः अगर इसने न की होती प्लानिंग तो न मरते इतने लोग

इस हमले में करीब 166 लोगों की मौत हुुई जबकि करीब 600 लोग गंभीर रूप से घायल हुए

26/11 बरसीः अगर इसने न की होती प्लानिंग तो न मरते इतने लोग
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मुंबई. मुंबई 26/11 दहशत के वो लम्हे अब तक हर किसी के जहन में है। डेविड कॉलमेन हेडली पाकिस्तान-अमेरिकी नागरिक था। हेडली आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के लिए काम करता था। सुरक्षा जांच एजेंसियों को अपनी जांच में पता चला था कि इस अटैक के पीछे इस संगठन का हाथ था और इस हमले को अंजाम तक पहुंचाने में हेडली ने मुख्य भूमिका निभाई थी।
पकड़े जाने के बाद हेडली ने खुद अमेरिकी अदालत में इस बात को कबूला है कि वो कई बार पाकिस्तान जाकर लश्कर के ट्रेनिंग कैंप में ट्रेनिंग ले चुका है।
जिसके बाद वो की बार भारत आया और मुंबई के कई स्थानों के मैप बनाए और जिन जगहों पर हमला करना था वहां की फोटो ली। हेडली को 2009 में पाकिस्तान जाते हुए शिकागो के अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे से गिरफ्तार कर लिया गया और मुंबई हमलों में भूमिका सिद्ध करने के लिये मुकदमा चलाया गया।
इस मुकदमे में मौत की सजा से बचने के लिये वो सरकारी गवाह बन गया और अपना जुर्म कबूल लिया। मुकदमे की गवाही के दौरान उसने बताया कि मुंबई हमला पाकिस्तान की गुप्तचर संस्था इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस ने प्रायोजित किया था।
सरकारी गवाह बनाने के बाद हेडली ने अमेरिकी व भारतीय जांच अधिकारियों के साथ सहयोग किया। मुंबई हमलों में संलिप्तता के मामले में 24 जनवरी 2013 को एक अमेरिकी न्यायालय ने हेडली को 35 वर्षों के कारावास की सजा सुनाई।
इस क्रूर हमले में मुंबई के कई प्रमुख स्थानों पर आम लोगों को निशाना बनाया गया। भीड़-भाड़ वाले इलाकों में आतंकी अंधाधुंध फायरिंग करते रहे। सिलसिलेवार धमाके और और गोलीबारी की घटना में करीब 166 लोगों की मौत हो गई जबकि करीब 600 लोग गंभीर रूप से घायल हुए।
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