ASEAN Summit2025: पीएम मोदी का ‘समुद्री सहयोग वर्ष 2026’ ऐलान, बोले- भारत-आसियान साझेदारी वैश्विक स्थिरता की नींव

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि भारत-आसियान व्यापक रणनीतिक साझेदारी वैश्विक स्थिरता और विकास के लिए एक सशक्त आधार के रूप में उभर रही है। भारत-आसियान (दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्र संघ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए, मोदी ने यह भी कहा कि यह समूह नई दिल्ली की एक्ट ईस्ट नीति का एक प्रमुख स्तंभ है।
उन्होंने कहा, "भारत ने हमेशा 'आसियान केंद्रीयता' और हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर आसियान के दृष्टिकोण का पूरा समर्थन किया है।" मोदी ने कहा, "अनिश्चितता के इस दौर में भी, भारत-आसियान व्यापक रणनीतिक साझेदारी ने निरंतर प्रगति की है। हमारी मजबूत साझेदारी वैश्विक स्थिरता और विकास के लिए एक सशक्त आधार के रूप में उभर रही है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत हर संकट में अपने आसियान मित्रों के साथ मजबूती से खड़ा रहा है और समुद्री सुरक्षा तथा नीली अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग तेज़ी से बढ़ रहा है। उन्होंने घोषणा की, "इसी के मद्देनज़र, हम 2026 को आसियान-भारत समुद्री सहयोग वर्ष घोषित कर रहे हैं।"
उन्होंने कहा, "हम शिक्षा, पर्यटन, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य, हरित ऊर्जा और साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में आपसी सहयोग को भी तेज़ी से आगे बढ़ा रहे हैं। हम अपनी साझा सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और लोगों के बीच संबंधों को मज़बूत करने के लिए मिलकर काम करते रहेंगे।"
#WATCH | Virtually addressing the 22nd ASEAN Summit 2025, PM Narendra Modi says, "This year's theme for the ASEAN Summit is 'Inclusivity and Sustainability'. This theme clearly reflects in our shared efforts- be it digital inclusion or ensuring food security and resilient supply… pic.twitter.com/7P2FTHXblP
— ANI (@ANI) October 26, 2025
आसियान को इस क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है और भारत तथा अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके संवाद साझेदार हैं। आसियान-भारत संवाद संबंध 1992 में एक क्षेत्रीय साझेदारी की स्थापना के साथ शुरू हुए। यह दिसंबर 1995 में पूर्ण संवाद साझेदारी और 2002 में शिखर-स्तरीय साझेदारी में परिवर्तित हो गया।
2012 में इन संबंधों को रणनीतिक साझेदारी का दर्जा दिया गया। पिछले कुछ वर्षों में भारत और आसियान के बीच द्विपक्षीय संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसका मुख्य उद्देश्य व्यापार और निवेश के साथ-साथ सुरक्षा और रक्षा के क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देना है।
ASEAN India Summit 2025: पीएम मोदी के संबोधन की 10 प्रमुख घोषणाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-आसियान शिखर सम्मेलन 2025 में अपने संबोधन के दौरान कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं, जिनमें ‘समुद्री सहयोग वर्ष 2026’ प्रमुख रहा।
- तिमोर-लेस्ते का स्वागत: आसियान के 11वें सदस्य के रूप में तिमोर-लेस्ते को बधाई दी और मानव विकास में भारत के निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया।
- आसियान केंद्रीयता पर जोर: आसियान की एकता, केंद्रीयता और हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण का पूर्ण समर्थन दोहराया; आसियान समुदाय विजन 2045 को अपनाने की सराहना की।
- FTA समीक्षा की अपील: आसियान-भारत मुक्त व्यापार समझौते (AITIGA) की शीघ्र समीक्षा से आर्थिक संबंधों की पूरी क्षमता का उपयोग होगा।
- आतंकवाद पर चेतावनी: आतंकवाद वैश्विक शांति के लिए गंभीर खतरा; इसके खिलाफ वैश्विक एकजुटता जरूरी है।
- 2026-2030 कार्य योजना: आसियान-भारत व्यापक रणनीतिक साझेदारी को लागू करने के लिए नई कार्य योजना का विस्तारित समर्थन।
- पर्यटन और समुद्री सहयोग: सतत पर्यटन पर संयुक्त नेताओं का वक्तव्य अपनाया।
- 2026 को ‘आसियान-भारत समुद्री सहयोग वर्ष’ घोषित। रक्षा और सुरक्षा पहल: द्वितीय आसियान-भारत रक्षा मंत्रियों की बैठक। दूसरा समुद्री अभ्यास।
- भारत पड़ोस में प्रथम प्रतिक्रियाकर्ता रहेगा; HADR (आपदा राहत) में सहयोग बढ़ेगा। नवीकरणीय ऊर्जा प्रशिक्षण: 400 पेशेवरों को नवीकरणीय ऊर्जा ग्रिड में प्रशिक्षण।
- शिक्षा और क्षेत्रीय विशेषज्ञता: तिमोर-लेस्ते तक QIP (त्वरित प्रभाव परियोजनाएँ) का विस्तार। नालंदा विश्वविद्यालय में दक्षिण पूर्व एशियाई अध्ययन केंद्र की स्थापना।
- नए क्षेत्रों में सहयोग: बुनियादी ढांचा, अर्धचालक, उभरती तकनीक, दुर्लभ खनिज, फिनटेक, सांस्कृतिक संरक्षण। लोथल (गुजरात) में समुद्री विरासत महोत्सव और समुद्री सुरक्षा सम्मेलन।
