INS Imphal commission: भारतीय नौसेना को मंगलवार को बड़ी सौगात मिली। स्वदेशी युद्धपोत स्टील्थ गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर INS इंफाल को इंडियन नेवी के बेड़े में शामिल कर लिया गया। मुंबई के मुंबई के नौसेना डॉकयार्ड में इसे इंडियन नेवी में कमीशन किया गया। इस मौके पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मौजूद रहे। यह युद्धपोत हिंद महासागर में भारतीय नौसेना को किसी भी हवाई हमले से निपटने में मजबूती देगा।
पहली बार उत्तरपूर्व के किसी राज्य पर रखा गया है युद्धपोत का नाम: नेवी चीफ
इस युद्धपोत के नौसेना में शामिल होने पर नेवी चीफ एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा कि यह देश का पहला ऐसा युद्धपोत है, जिसका नाम पूर्वोत्तर के राज्य के नाम पर रखा गया है। भारतीय नौसेना में इंफाल के करीब 400 जवान काम करते हैं। इस लिहाज से भी नए युद्धपोत का नाम अहम है। यह दिखाता है कि भारतीय नौसेना पूरे देश के जवानों की मदद से ऑपरेट होती है। युद्धपोत के सभी क्रू को बधाई।
भारत की नौसेना को मजबूती देगा यह युद्धपोत: रक्षा मंत्री
इस मौके पर राजनाथ सिंह ने कहा कि मुझे पक्का विश्वास है कि INS Imphal की कमीशनिंग भारतीय नौसेना को और मजबूती देगा। यह रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता का जीता जागता सबूत है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति इसे बनाने वाले सभी स्टेकहोल्डर्स की मेहनत और लगन को दर्शाता है। इस युद्धपोत के नौसेना के बेड़े में शामिल होने से हिंद महासागर में भारत की सैन्य शक्ति में इजाफा होगा।
किसने बनाई INS इंफाल की डिजाइन और कहां हुआ तैयार?
यह युद्धपोत पूरी तरह से भारत में तैयार किया गया है। इसकी डिजाइन इंडियन नेवी की वॉरशिप डिजाइन ब्यूरो ने तैयार की है। वहीं, इसका पूरा निर्माण मझगांव डॉक लिमिटेड में किया गया है। रक्षा शोध विकास संगठन (DRDO) ने कुछ लघु सूक्ष्म एवं मध्यम उद्योग (MSME)के साथ मिलकर इसे तैयार किया है। यह भारत का तीसरा युद्धपोत है जो गाइडेड मिसाइल ब्रह्मोस से लैस है। चार दिन पहले ही इस युद्धपोत से ब्रह्मोस मिसाइल को फायर कर टेस्ट किया गया। इसमें यह कसौटियों पर खड़ा उतरा।
नौसेना के पश्चिमी कमांड में किया जाएगा तैनात
रक्षा मंत्री ने 28 नवंबर को मणिपुर के मुख्यमंत्री और अन्य लाेगों की मौजूदगी में नई दिल्ली में जहाज के शिखर का अनावरण किया। कमीशनिंग के बाद, INS इंफाल नौसेना के पश्चिमी कमांड में तैनात किया जाएगा। यह ऐसे आधुनिक सेंसर से लैस हो जो रडार को चकमा दे सकता है। इसे बनाने की मंजूरी साल 2019 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दी थी। इसका पहला समुद्री परीक्षा इसी साल 28 अप्रैल को किया गया था। इसे बनाने का काम महज दो साल में पूरा कर लिया गया। मई 2017 में इसे तैयार करना शुरू किया गया था। वहीं, अप्रैल 2019 में इसे समुद्र में उतार दिया गया था।
इन तकनीकों से लैस है INS इंफाल
- स्वदेशी मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें: मध्यम दूरी पर हवाई खतरों से निपटने में सक्षम
- सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें: समुद्र से सतह के लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम
- टॉरपीडो ट्यूब: टॉरपीडो लॉन्च करने और पनडुब्बियों के हमले रोकने वाला हथियार
- पनडुब्बी रोधी रॉकेट लांचर: पानी के नीचे के टार्गेट को निशाना बनाने के लिए इसका इस्तेमाल होता है
- सुपर रैपिड गन माउंट: रक्षा और युद्ध के दौरान रैपिड-फायर गन माउंट मुकाबल करने में मददगार होगा
- युद्ध प्रबंधन प्रणाली: युद्ध संचालन के कोर्डिनेशन और मैनेजमेंट से जुड़ी तकनी
- इंटिग्रेटेड प्लेफॉर्म मैनजमेंट सिस्टम: शिपबोर्ड सिस्टम और इसके कार्यों की देखरेख में मददगार
- ऑटोमैटिक इलेक्ट्रिसिटी मैनेजमेंट सिस्टम: जहाज पर बिजली उपलब्ध करवाने में मददगार
- फोल्डेबल हैंगर दरवाजे: ऐसे दरवाजे जिन्हें मोड़ा जा सकता है, जिनमें हेलीकॉप्टर भी रखे जा सकते हैं
- हेलो ट्रैवर्सिंग सिस्टम: हेलीकॉप्टर की आवाजाही और भंडारण की सुविधा मुहैया कराने वाली सिस्टम
- क्लोज़-इन हथियार सिस्टम: आत्मरक्षा के लिए एक कम दूरी तक मार करने वाले हथियार
- बो माउंटेड सोनार: पानी के भीतर पनडुब्बियों का पता लगाने में मददगार है यह तकनी