स्वच्छ भारत योद्धाः टीचर ने अपने दम पर बनवा डाले 1800 टॉयलेट
राजकुमार परमार को आशा है कि 31जुलाई तक उनके अपने जिले को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया जाएगा।

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haribhoomi.comCreated On: 19 July 2016 12:00 AM GMT
मध्य प्रदेश. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा चलाये गए स्वच्छ भारत मिशन के तहत देश में स्वच्छता को लेकर लोगों में जागरूकता आई है। लगभग सभी गावों में पंचायत स्तर पर शौचालय बनाए जा रहे हैं।
स्वच्छ्ता से जुड़ा ऐसा ही एक मामला देखने को मिला है मध्य प्रदेश के शाजापुर जिले में जहां एक 30 वर्षीय स्थानीय स्कूल के शिक्षक, राजकुमार परमार ने अपने जिले को खुले में शौच मुक्त बनाने का सोचा है। परमार ने अपने जिले भर के गांवों में 1824 शौचालयों के निर्माण में मदद की है।
परमार शुजालपुर तहसील में एक प्राथमिक स्कूल में शिक्षक थे। करीब आठ महीने पहले, एक करीबी दोस्त की बहन ने उससे शिकायत की जब वह खुले में शौच करने गई तो उसे उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। तब से ही परमार ने यह निर्णय कर लिया कि उसे अपने जिले में खुले में शौच जाने के लिए शौचालयों का निर्माण करना होगा।
परमार ने हिंदुस्तान टाइम्स को बताया कि, "यह घटना मेरे जीवन को एक नया अर्थ दे दिया है। पहले तीन महीनों के लिए, मैंने आसपास के गांवों में अकेले ही काम करना शुरू कर दिया था। उसके बाद मैं स्वच्छ भारत मिशन में शामिल हो गया।"
उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले मुझे स्वच्छ भारत मिशन के लिए अपने क्षेत्र में प्रेरक के रूप में चयनित किया गया था। 199 अन्य लोगों के साथ-साथ मैंने जिला मुख्यालय में आयोजित एक यूनिसेफ कार्यशाला में प्रशिक्षण लिया।
200 शौचालयों की निर्माण टीम - हन्नूखेड़ी, रायपुर, पिपलोद ,लहरखेड़ा, दुग्धा, कडवाला, मण्डलखा, नेटेरा, और जिले के अन्य गांवों में।
परमार के प्रयासों की कई लोगों ने प्रशंसा कि जिसमें जिला कलेक्टर राजीव शर्मा भी शामिल हैं। लेकिन स्वच्छ्ता के रास्ते में अभी कई बाधाएं भरी पड़ी थी। परमार के परिवार वाले उनके इस काम से खुश नहीं थे। उसके काम को प्रोत्साहित करने की बजाय वे चाहते थे कि परमार सरकारी नौकरी करे।
परमार के लिए शौचालय के लिए पर्याप्त धन जुटा पाना कोई चुनौती से कम नहीं था। यह भी एक कठिन कार्य था और सरकारी अनुदान में मिलने वाले 12,000 रुपए की मदद इस कार्य को करने के लिए काफी नहीं था।
उन्होंने कहा, "इतनी कम राशि के साथ एक शौचालय का निर्माण करना बहुत ही मुश्किल काम है। इसलिए हमने ग्रामीणों से श्रम लागत में कटौती करने के लिए के लिए कहा। जो भी राशि हमें इसके अलावा मिलती है, हम शौचालयों के निर्माण के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं।"
लेकिन राजकुमार परमार चीजों को बेहतर बनाने के लिए अपना प्रयास जारी रखे हुए हैं। परमार के इलाके में अधिकांश पंचायतों में पर्याप्त शौचालय बने हुए हैं और 10-12 पंचायतों में शेष काम चल रहा है। उन्हें आशा है कि 31जुलाई तक उनके अपने जिले को खुले में शौच मुक्त घोषित कर दिया जाएगा। परमार का मानना है कि एक साफ देश को स्वच्छ शौचालयों की नींव पर बनाया जाता है।
साभार- द बेटर इंडिया
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