सरदार पटेल पीएम होते तो नहीं होता घाटी में आतंकवाद :थावरचंद गहलोत
लौहपुरुष’ को याद करते हुए कहा कि पटेल ने आजादी मिलने के बाद देशभर की 565 रियासतों को जोड़कर संगठित भारत की नींव रखी थी।

इंदौर. जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की समस्या पनपने के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की नीतियों को जिम्मेदार ठहराते हुए केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने शुक्रवार कहा कि अगर इस सरहदी सूबे को संगठित रखने का दायित्व तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल को सौंपा जाता, तो वहां आतंकवाद का वजूद नहीं होता। गहलोत ने पटेल की 139वीं जयंती पर यहां आयोजित ‘रन फॉर यूनिटी’ के दौरान जनसभा में कहा कि नेहरू ने जम्मू-कश्मीर प्रांत की जिम्मेदारी पटेल को न सौंपकर अपने पास रखी थी, लेकिन नेहरू इस सरहदी सूबे को संगठित रख पाने में असफल रहे।
नेहरु गांधी परिवार पर साथा निशाना-
उन्होंने ‘लौहपुरुष’ को याद करते हुए कहा कि पटेल ने आजादी मिलने के बाद देशभर की 565 रियासतों को जोड़कर संगठित भारत की नींव रखी थी। गहलोत ने आरोप लगाया कि देश के प्रति पटेल के महान योगदान को भुलाने में कांग्रेस ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। केंद्रीय मंत्री ने नेहरू-गांधी परिवार पर भी निशाना साधा।
नेहरु गांधी परिवार ने महापुरुषों के बलिदान को भुला दिया-
उन्होंने कहा कि इस देश को केवल नेहरू-गांधी परिवार ने आजाद नहीं कराया, बल्कि स्वतंत्रता के लिए कई महापुरुषों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी, लेकिन इन महापुरुषों के बलिदान को भुला दिया गया।
विजय नगर चौराहे से लगभग 13 हजार लोगों ने रन फॉर यूनिटी में भाग लिया-
भाजपा के एक प्रवक्ता ने दावा किया कि विजय नगर चौराहे से शुरू होकर बापट चौराहे पर खत्म हुई ‘रन फॉर यूनिटी’ में समाज के अलग-अलग तबकों के लगभग 13 हजार लोगों ने हिस्सा लिया।
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