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जानिए आखिर किसान अफीम के खेतों में क्यों कर रहे हैं भजन-कीर्तन

गांव व आसपास के क्षेत्रों में किसान खेतों पर भजन-कीर्तन व रात्रि जागरण करते हैं।

जानिए आखिर किसान अफीम के खेतों में क्यों कर रहे हैं भजन-कीर्तन
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नीमच/झांतला. (नरेंद्र सांवरिया) अफीम की फसल की सुरक्षा के लिए किसानों ने एक नायाब तरीका निकाला है। खेत में खड़ी फसल के डोडे को चोरी से रोकने के लिए किसान सामूहिक रूप से खेतों पर एकत्र होकर भजन-कीर्तन व रात्रि जागरण कर रहे हैं। जिले ग्राम झांतला के जंगल में अलग-अलग स्थानों पर 4-5 स्थानों पर हर रात ऐसे आयोजन हो रहे हैं। ग्रामीणों को जागता देख बदमाश खेतों की ओर आने से डर जाते हैं। यह दृश्य प्रतिदिन जिला मुख्यालय से 80 किमी दूर ग्राम झांतला में देखा जा सकता है।
गांव में 93 किसानों के अफीम के पट्टे
गांव में 93 किसानों के अफीम के पट्टे हैं। खेतों में फसल खड़ी है। चीरा लगाने अथवा फसल नष्ट करने के लिए उनके पास 31 मार्च तक का समय है। इस अवधि में खड़ी फसल से डोडे चोरी ना हों। बदमाश हमला ना करें। इसकी खातिर किसानों ने नया रास्ता खोजा है। अकेले चौकीदारी करने की बजाए किसानों ने समूह बनाकर खेतों पर भजन-कीर्तन व रात्रि जागरण का सहारा लिया है। किसान रोज रात खेतों पर हारमोनियम, ढोलक व झांझ मंजीरे लेकर भगवान का स्मरण करते हैं।
किसानों की मौजूदगी
खेतों पर चहल-पहल व किसानों की मौजूदगी देख बदमाश नहीं आते हैं। सामूहिक रूप से चौकीदारी व जागरण से फसल की सुरक्षा के साथ प्रभु स्मरण भी हो जाता है। किसानों की मानें तो गांव में 4 से 5 स्थानों पर संयुक्त रूप से भजन-कीर्तन व रात्रि जागरण किया जाता है। भजन-कीर्तन में मदनलाल धाकड़, नानालाल धाकड़, गोपाल शर्मा, नाथूलाल चिमना, रामेश्वरलाल, नंदलाल, मेघराज, कुका, रामलाल सहित अन्य हिस्सेदारी करते हैं।
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