सुप्रीम कोर्ट के बाद एनजीटी ने ''महान कोल लिमिटेड'' से वापस ली पर्यावरण मंजूरी
सुप्रीम कोर्ट के बाद एनजीटी के फैसले से ग्रामीणों में उत्साह का माहौल है।

सिंगरौली. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने शुक्रवार को एस्सार व हिंडाल्कों के संयुक्त उपक्रम को मिली पर्यावरण मंजूरी को वापस ले लिया। एनजीटी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद जिसमें उच्चतम न्यायालय ने 214 कोल ब्लॉक के आवंटन को रद्द कर दिया था। इसके बाद एस्सार व हिंडाल्कों की पर्यावरण मंजूरी अपने आप ही रद्द हो जाती है। सुप्रीम कोर्ट के 214 कोल खदान को रद्द करने के फैसले के बाद एनजीटी के फैसले से महान कोयला खदान के अगल-बगल में रहने वाले लोगों में खुशी का माहौल है।
ग्रामीणों जीविका होती है प्रभावित-
वहां के हजारों ग्रामीण लोगों ने जुलूस निकालकर इस फैसले का स्वागत किया। एनजीटी का फैसला महान संघर्ष समिति (एमएसएस) द्वारा दायर किए गए याचिका के बाद आया है जिसमें एमएसएस ने महान में कंपनी को मिले वन मंजूरी को चुनौती दी थी। इस परियोजना से करीब 5 लांख पेड़ कटते और 50 हजार ग्रामीणों की जीविका प्रभावित होती।
इलाके में है खुशी का माहौल-
सुप्रीम कोर्ट के बाद एनजीटी के फैसले से ग्रामीणों में उत्साह का माहौल है। अमिलिया में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित करके अपनी खुशी जाहिर की। महिलाओं, पुरुषों और बच्चों ने लोकगीत और लोकनृत्य करके अपनी खुशी को जाहिर किया, साथ ही ग्रामीणों ने गांव में जुलूस निकाला और अपने देवता डीह बाबा के यहां प्रसाद चढ़ाया।
सरकार की क्या है राय-
सरकार ने कहा है कि वो निरस्त कोल ब्लॉक की निलामी के लिये जल्दी से नीति बनायेगी। एक एनजीओ ने मांग की कि सरकार को कोयला खदान के निलामी से पहले नई कसौटी बनानी चाहिए, जिससे महान जैसे घने जंगल क्षेत्र को बचाया जा सके।
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