व्यापमं घोटाला: मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने अदालत में दर्ज कराए अपने बयान
कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने बहुचर्चित व्यापमं घोटाले की एक्सेल शीट में फेरबदल करने के मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मंत्री उमा भारती और पांच अन्य के खिलाफ दायर परिवाद के सिलसिले में अदालत में अपने बयान दर्ज करवाये।

कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने बहुचर्चित व्यापमं घोटाले की एक्सेल शीट में फेरबदल करने के मामले में स्वयं द्वारा मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मंत्री उमा भारती और पांच अन्य के खिलाफ दायर परिवाद के सिलसिले में शनिवार को यहां स्थानीय अदालत में अपने बयान दर्ज करवाये।
दिग्विजय ने आज सुबह विधायकों-सांसदों के व्यापमं मामलों के लिये भोपाल में गठित विशेष न्यायालय के न्यायाधीश सुरेश सिंह की अदालत में पेश हुए और करीब दो घंटे तक अपने बयान दर्ज कराये। इस दौरान मशहूर वकील एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल तथा वरिष्ठ वकील एवं कांग्रेस नेता विवेक तन्खा सहित कई अधिवक्ता दिग्विजय का पक्ष रखने के लिए अदालत में मौजूद थे।
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राज्यसभा सदस्य एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय ने अपनी दलील में अदालत से मांग की कि व्यापमं घोटाले के मामले में चौहान, उमा एवं पांच अन्य लोगों के खिलाफ अपराधिक अभियोग चलाया जाये।
अदालत में दिग्विजय का बयान दर्ज होने के बाद उनकी ओर से दलील देने आए उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने यहां संवाददाताओं को बताया कि हमने इस मामले से जुड़े सारे सबूत अदालत में दे दिए हैं। वह सीडी जिसमें 48 बार सीएम (मुख्यमंत्री) लिखा हुआ हैं वो भी दी है। एक्सल शीट की मूल कॉपी भी कोर्ट को दे दी है।
सिब्बल ने आरोप लगाया कि इस पूरे मामले में जांच एजेंसियों ने चौहान और उमा को बचाने की कोशिश की है। उन्होंने कहा कि व्यापमं में हुए भ्रष्टाचार की जड़ इस प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। इससे (दिग्विजय द्वारा दायर परिवाद) हम इसे साबित कर देंगे।
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यह परिवाद दिग्विजय ने अदालत में 19 सितंबर को प्रस्तुत किया था, जिसके लिए उन्होंने आज अपने बयान अदालत के समक्ष दर्ज करवाये। इस अवसर पर कांग्रेस नेता विवेक तन्खा ने कहा कि दिग्विजय ने 27,000 पन्नों की चार्जशीट अदालत में प्रस्तुत की है, जिनमें कई अहम दस्तावेज हैं।
गौरतलब है कि मध्यप्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल यानी व्यापमं द्वारा मेडिकल कोर्स में प्रवेश के लिए ली गई एमपीएमटी परीक्षा एवं सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए ली गई परीक्षाओं में भारी धांधली हुई थी।
इस घोटाले की जांच विशेष कार्य बल (एसटीएफ) कर चुकी है। वर्ष 2016 में उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर सीबीआई ने व्यापमं घोटाले की जांच की और मुख्यमंत्री चौहान को क्लीन चिट दी है।
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