अब पार्षद चुन सकेंगे अपना महापौर और अध्यक्ष, कमलनाथ कैबिनेट ने नगरी निकाय एक्ट में बदलाव को दी मंजूरी Watch Video
मध्यप्रदेश में नगरी निकाय चुनाव को लेकर चल रही असमंजस की आज कमलनाथ कैबिनेट के साथ खत्म हो गई। बुधवार को हुई बैठक में कैबिनेट ने नगरी निकाय चुनाव को अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने पर अपनी मुहर लगा दी है।

मध्यप्रदेश में नगरी निकाय चुनाव को लेकर चल रही असमंजस की आज कमलनाथ कैबिनेट के साथ खत्म हो गई। बुधवार को हुई बैठक में कैबिनेट ने नगरी निकाय चुनाव को अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने पर अपनी मुहर लगा दी है। जिसमें पार्षद का चुनाव सीधे जनता द्वारा होगा लेकिन महापौर और अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होंगे। मतलब अब पार्षद सीधे तौर पर अपना महापौर और अध्यक्ष चुन सकेंगे। वहीं वार्डो के परिसीमन और नगरी निकाय चुनाव के बीच 6 माह बंधन भी सरकार ने खत्म कर दिया है। जिसके बाद उम्मीद जताई जा रही है कि यह चुनाव के दो महीने के अंदर हो सकते हैं।
प्रदेश सरकार ने 2020 में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव से पहले बड़ा बदलाव किया है। कमलनाथ कैबिनेट ने नगरीय निकाय एक्ट में इस बदलाव पर अपनी मुहर भी लगा दी है। अब महापौर का चुनाव सीधे न होकर, चुने गए पार्षदों के जरिए होगा। इसके बाद अब जनता सीधे महापौर को नहीं चुनेगी। इससे पहले अभी तक जनता सीधे महापौर को चुनती थी। लेकिन इस फैसले के बाद अप्रत्यक्ष तरीके से महापौर और नगर निगम के सभापति का चुनाव होगा।
इसके अलावा आपराधिक छवि वाले पार्षदों की अब खैर नहीं। नगरी निकाय चुनाव में गलत जानकारी देने पर प्रत्याशियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के साथ 6 महीने की जेल और 25000 रुपये जुर्माना के प्रावधान को भी कैबिनेट ने मंजूर किया है। कमलनाथ सरकार के नगरीय निकाय एक्ट में बदलाव के फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि हम इसका विरोध करते हैं। कांग्रेस को हार का डर सता रहा है। इसलिए उन्होंने महापौर के सीधे चुनाव को खत्म कर दिया है। कांग्रेस इसके जरिए जोड़-तोड़ और खरीद-फरोख्त की राजनीति को बढ़ावा दे रही है।
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