मध्य प्रदेश: संतों को राज्यमंत्री बनाए जाने पर घिरे ''शिवराज'', हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब
राज्य सरकार ने नर्मदा किनारे के क्षेत्रों में वृक्षारोपण, जल संरक्षण तथा स्वच्छता के विषयों समेत अलग-अलग क्षेत्रों में जन जागरुकता अभियान चलाने के लिये विशेष समिति गठित की है। इस समिति के पांच सदस्य बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा प्रदान किया गया है।

मध्यप्रदेश में संतों को राज्यमंत्री बनाये जाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब मांगा है। कोर्ट ने इस मामले में 3 हफ्तों में स्थिति साफ करने के लिए कहा है।
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार ने कंप्यूटर बाबा समेत 5 संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया था। जिसकी वजह से शिवराज सरकार को चौतरफा विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ के न्यायमूर्ति पीके जायसवाल और न्यायमूर्ति एसके अवस्थी ने इस फैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर तीन हफ्ते में जवाब देने का आदेश दिया।
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याचिकाकर्ता की दलील
याचिकाकर्ता रामबहादुर वर्मा की याचिका में दलील दी गई है कि पांचों धार्मिक नेताओं को प्रदेश सरकार का दिया गया राज्य मंत्री दर्जा समाप्त किया जाए।
राज्य मंत्री के दर्जे के कारण पांचों धार्मिक हस्तियों को मिलने वाली सरकारी सुख-सुविधाओं का बोझ आखिरकार करदाताओं पर आएगा, जबकि संविधान में इस तरह के दर्जे का कोई प्रावधान नहीं है।
नर्मदा घोटाला करने वाले थे उजागर
गौरतलब है कि कंप्यूटर बाबा ने 26 फरवरी 2018 को नर्मदा घोटाले की शिकायत पीएमओ में की थी। पूर्व कांग्रेस पार्षद पंडित योगेंद्र महंत के साथ मिलकर वह 1 अप्रैल को घोटाला अभियान प्रारंभ करने वाले थे लेकिन 31 मार्च को ही राज्य सरकार ने उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा दे दिया।
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राज्य सरकार ने नर्मदा किनारे के क्षेत्रों में वृक्षारोपण, जल संरक्षण तथा स्वच्छता के विषयों समेत अलग-अलग क्षेत्रों में जन जागरुकता अभियान चलाने के लिये विशेष समिति गठित की है। इस समिति के पांच सदस्य बाबाओं को राज्यमंत्री का दर्जा प्रदान किया गया है।
घोटाला अभियान वापस लिया
पांचों धार्मिक नेताओं को प्रदेश सरकार द्वारा राज्य मंत्री दर्जा दिए जाने के लिए गए निर्णय के 24 घंटे के अंदर ही कंप्यूटर बाबा और पंडित योगेंद्र महंत ने घोटाला अभियान को वापस लेने की घोषणा कर दी थी।
चुनाव से पहले दर्जा देकर फंसे
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से ठीक पहले 5 संतों को राज्यमंत्री का दर्जा दिए जाने को लेकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह विवादों में फंस गए।
इस विवाद पर नया मोड़ तब आ गया जब सरकार के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई। जिस पर हाईकोर्ट ने जवाब भी तलब कर लिया।
कांग्रेस ने कहा- संतों के नाम पर राजनीति
शिवराज सरकार की इसे लेकर चौतरफा आलोचना भी हुई। कांग्रेस ने कहा था कि सूबे की शिवराज सरकार संतों के नाम पर राजनीति कर रही है और उनका फायदा उठाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस ने सरकार के इस फैसले को राजनीतिक नाटक करार दिया था।
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