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मप्र सरकार की नई पहल, किसानों के लिये पेश किया ‘किसान एप''

किसानों के हित में चलाई जा रही विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी और इनसे फायदे लेने के लिये मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों के लिये एक ‘किसान एप'' प्रस्तुत किया है।

मप्र सरकार की नई पहल, किसानों के लिये पेश किया ‘किसान एप
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किसानों के हित में चलाई जा रही विभिन्न सरकारी योजनाओं की जानकारी और इनसे फायदे लेने के लिये मध्यप्रदेश सरकार ने किसानों के लिये एक ‘किसान एप' प्रस्तुत किया है।

प्रदेश के राजस्व, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘सरकार ने किसानों के हित के लिये एक किसान एप पेश किया है। इसके जरिये किसान प्रदेश सरकार द्वारा उनके लिये चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं में स्वयं का पंजीयन कराकर इनका फायदा ले सकेंगे।'
किसान एप के बारे में अधिक जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इस एप के माध्यम से किसान बोई गई फसल की स्व-घोषणा कर सकेगा। इससे फसल का नुकसान होने की स्थिति में उसे सरकार द्वारा दिया जाने वाला मुआवजा हासिल हो सकेगा। इसके साथ ही किसान अपनी मालिकी भूमि के दस्तावेजों की प्रतियां भी इस एप के जरिये आनलाइन हासिल कर सकता है और उसे कार्यालयों के चक्कर लगाने से मुक्ति मिलेगी।
उन्होंने बताया कि किसानों को भूमि संबंधित सभी जानकारियां और रिकार्ड इस एक एप पर ही उपलब्ध होंगे। गुप्ता ने कहा कि इस एप से किसान भूमि संबंधित खसरे सहित विभिन्न दस्तावेज हासिल करने के लिये आवेदन कर सकेंगे और नाममात्र के शुल्क पर उन्हें ये आनलाइन उपलब्ध हो जायेंगे। इसके साथ ही किसान सरकार की उपार्जन, भावांतर और फसल बीमा योजना जैसी विभिन्न योजनाओं में अपना पंजीयन करा सकेंगे।
राजस्व मंत्री ने बताया कि प्रदेश के राजस्व विभाग द्वारा इससे पहले ‘एम आरसीएमएस' एप जारी किया गया था। इसके जरिये विभिन्न राजस्व विवादों की राजस्व अदालतों में स्थिति, जैसे प्रकरण की सुनवाई दिनांक आदि की जानकारी, संबंधित लोगों को देने की व्यवस्था की गयी है।
मंत्री ने दावा किया कि विवादित राजस्व मामलों को छोड़कर प्रदेश में राजस्व का कोई भी आवेदन 30 दिन से अधिक लंबित नहीं होगा। उन्होंने कहा कि पिछले माह अभियान चलाकर प्रदेश में लगभग 12 लाख राजस्व मामलों का निराकरण किया गया है।
उन्होंने बताया कि देश में मध्यप्रदेश भूमिस्वामी एवं बटाईदार के हितों का संरक्षण करने के लिये कानून बनाने वाला पहला राज्य बना है। इस अधिनियम के प्रावधान के अनुसार अब भूस्वामी पांच वर्ष के लिये अपनी कृषि भूमि को बटाई या पट्टे पर निश्चिंत होकर दे सकेगा।

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