इकलौते बेटे की मौत के बाद सास-ससुर ने बहू को बेटी बना डोली में बैठाकर किया विदा
अक्सर लोग कहते हैं सास कभी मां नहीं बन सकती, बहू कभी बेटी और ससुराल कभी मायका नहीं बन सकता। लेकिन मध्यप्रदेश के देवास में रहने वाले कृष्ण कांत शर्मा एवं उनकी पत्नी संध्या शर्मा और बहू नेहा ने लोगों को अपनी इस सोच को बदलने पर मजबूर कर दिया है।

देवास। अक्सर लोग कहते हैं सास कभी मां नहीं बन सकती, बहू कभी बेटी और ससुराल कभी मायका नहीं बन सकता। लेकिन मध्यप्रदेश के देवास में रहने वाले कृष्ण कांत शर्मा एवं उनकी पत्नी संध्या शर्मा और बहू नेहा ने लोगों को अपनी इस सोच को बदलने पर मजबूर कर दिया है। जहां एक सास सुसर ने अपने इकलौते बेटे की मौत के बाद बहू को बेटी बनाकर अपने घर से विदा किया।
जी हां एमजी रोड पर निवासरत देवास के कृष्ण कांत और संध्या के इकलौटे बेटा वैभव शर्मा की तीन साल पहले 1 जनवरी 2016 के नर्मदा नदी में डूबने से मौत हो गई थी। उस समय वैभव की नई-नई शादी सनावद निवासी डॉ. मनोहर शर्मा की पुत्री नेहा के साथ हुआ था। पति की मृत्यु के बाद नेहा ने जहां अपने सास-ससुर की सेवा बेटी बनकर की तो उन्होंने भी उसे अपनी बेटी मानकर उसके भविष्य को संवारने के लिए उसे उच्च शिक्षा दिलवाई। बेटी की तरह स्वतंत्रता दी और योग्य वर देख कर पुन: विवाह कराकर कन्यादान कर दिया।
नेहा का कहना है मुझे मेरी सास ने अपनी बेटी बनाकर मुझे इस घर में रखा मुझे पढ़ाया लिखाया कभी भी उन्होंने मुझे एहसास नहीं होने दिया कि वह मेरी सास हैं मेरे पति के गुजर जाने के बाद मेरे सास ससुर ने मुझे बेटी का दर्जा दिया, मेरे पति वैभव इकलौते बेटे थे मेरे साथ में मुझे एहसास नहीं होने दिया कि मैं उनकी विधवा बहू हूं।
सास ससुर ने उसके लिए योग्य वर की तलाश की और मंगलवार को नेहा का विवाह राजगढ़ जिले के ग्राम हिकमी निवासी अजय शर्मा के साथ कराया। नेहा जब डोली में बैठाकर विदा हुई तो शर्मा दंपती रो पड़े और कहा कि देवास तेरा मायका है और हम तेरे माता-पिता हैं। हमें भूलना मत, तुमने जैसे हमें संभाला है वैसे ही अपने परिवार को संभालना।
शर्मा परिवार ने समाज और ऐेसे लोगों के लिए आदर्श बनकर सामने आए हैं जो बहू को बोझ समझने लगते हैं।
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